पटनाः बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रूठ कर घर बैठे थे। लेकिन वे बिना किसी के मनाये खुद ही मान गये। पूरे 27 दिन तक ड्रामे के बाद मंत्री अपने सरकारी दफ्तर में पहुंचे. अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से विवाद होने के बाद शिक्षा मंत्री रूठ गये थे. उन्होंने अपने ऑफिस जाना छोड़ दिया था. लेकिन ना नीतीश कुमार ने उनका नोटिस लिया और ना ही लालू यादव ने. ऐसे में 27 दिन बाद मंत्री खुद से ही ऑफिस पहुंच गये. खास बात ये भी रही कि मंत्री के जिस प्राइवेट सेक्रेट्री कृष्णानंद यादव के कार्यालय में घुसने पर रोक लगा दी गयी थी, उसे चंद्रशेखर अपनी गाड़ी में साथ लेकर आये।
आज देर शाम मंत्री चंद्रशेखर सचिवालय स्थित अपने ऑफिस में पहुंचे. 28 दिन पहले उन्होंने अपने प्राइवेट सेक्रेट्री कृष्णानंद यादव से विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पीत पत्र भिजवाया था. जवाब में केके पाठक ने शिक्षा विभाग के निदेशक से करारा लेटर भिजवाया था. पिछले महीने 4 और 5 जुलाई को ये ड्रामा चला था. उसके बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रूठ के अपने घर में बैठ गये थे. उन्होंने सरकारी दफ्तर जाना बंद कर दिया था.
दरअसल चंद्रशेखर को उम्मीद थी कि उन्हें लालू यादव और तेजस्वी यादव से सहारा मिलेगा. लेकिन दोनों ने मंत्री को झटका दे दिया. लालू यादव की सलाह पर शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी. लेकिन केके पाठक के मामले में नीतीश ने चंद्रशेखर की कोई दलील सुनने से इंकार कर दिया था. ऐसे में 27 दिनों तक रूठने के बाद मंत्री आज खुद अपने दफ्तर पहुंच गये. विकास भवन स्थित सचिवालय में मंत्री का चेंबर उनके विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के ठीक बगल में है. लेकिन मंत्री ने केके पाठक के चेंबर की ओर झांका तक नहीं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मंत्री दायें-बायें देखे बगैर सीधे अपने चेंबर में घुस गये. अपने चेंबर में ही उन्होंने एक-दो अधिकारियों को बुलाकर बात की.
हालांकि मंत्री चंद्रशेखर अपने विवादित पीएस यानि प्राइवेट सेक्रेट्री कृष्णानंद यादव को अपनी गाड़ी में साथ लेकर आये थे. ये वही कृष्णानंद यादव हैं, जिनके ऑफिस में घुसने पर केके पाठक ने रोक लगवा दिया है. चूंकि मंत्री अपने पीएस को साथ लेकर आये थे इसलिए किसी ने रोका नहीं. लेकिन केके पाठक साफ कर चुके हैं कि कृष्णानंद यादव के किसी पत्र का कोई जवाब विभाग का कोई अधिकारी-कर्मचारी नहीं देगा. मंत्री के साथ विभाग में पहुंचे कृष्णानंद यादव मंत्री के चेंबर में ही बैठे रहे और मंत्री के साथ ही निकल गये.
बता दें कि ये विवाद 4 जुलाई से शुरू हुआ था. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने प्राइवेट सेक्रेट्री कृष्णानंद यादव के जरिये केके पाठक को पीत पत्र भेज कर कई आरोप लगाये थे. मंत्री ने कहा था कि केके पाठक गलत कर रहे हैं. शिक्षा विभाग में सही से काम नहीं हो रहा है. केके पाठक को सही से काम करने की नसीहत के साथ साथ चेतावनी भी दी गयी थी. इसके जवाब में अगले दिन शिक्षा विभाग ने मंत्री के आप्त सचिव के कार्यालय में घुसने पर रोक लगा दिया था।
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव कृष्णानंद यादव की ओर से भेजे गये पीत पत्र के जवाब में शिक्षा विभाग के निदेशक सुबोध कुमार ने कड़ा पत्र लिख कर कहा था कि कृष्णानंद यादव खुद या अपने संरक्षकों (जिनके कहने पर ये तथाकथित पीत पत्र लिख रहे हैं) पूरी प्रक्रियाओं से अवगत हो लें और उसके बाद ही किसी प्रकार का पत्राचार करें. व्यर्थ का पत्राचार करने से आपका और आपके संरक्षकों की कुत्सित मानसिकता एवं अकर्मण्यता जाहिर होती है. जाहिर है केके पाठक का सीधा निशाना मंत्री चंद्रशेखर पर था. इसके बाद से चंद्रशेखर रूठे हुए थे. लेकिन लालू-तेजस्वी से मदद की सारी उम्मीद टूटने के बाद वे खुद ही मान गये और ऑफिस पहुंच गये।