बेतिया, संवाददाता
बेतिया में मंगलवार को सीएम नीतीश के कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम में जमकर हंगामा हुआ। उनके खिलाफ नारेबाजी भी की गई है। कार्यक्रम में पशु मैत्री और टीकाकर्मी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे। ये सभी मानदेय की मांग कर रहे थे।
वो अपनी मांगों को लेकर आवेदन देना चाहते थे, लेकिन उन्हें एंट्री नहीं मिली। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया। लोगों ने कहा कि, ‘हम सुबह से मुख्यमंत्री से मिलने के लिए खड़े थे। वो आए और सीधे अंदर चले गए। वीआईपी लोगों को टिकट देकर एंट्री दी जा रही है। हमें धक्के देकर भगा दिया गया।’

हंगामा कर रही महिला ने कहा, ‘मुख्यमंत्री हमारी समस्या नहीं सुनेंगे तो हम उन्हें वोट क्यों देंगे। हमने किसी का कर्ज नहीं खाया है। मुख्यमंत्री हमें पैसे नहीं देते जो हम हर बार वोट दें।’ बैरिया थाने के सोनू कुशवाहा ने कहा कि, ‘इनके पास जब बैठाने का जगह नहीं तो हमें बुलाना नहीं चाहिए था। बुलाने के बाद लोगों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा, उन्हें धकेल कर बाहर किया जा रहा। हमें ऐसा मुख्यमंत्री बिहार में नहीं चाहिए।’
कार्यक्रम में आई रबीना खातून सीएम के कार्यक्रम में अंदर न जाने से नाराज हैं। वे कहती हैं- ‘जब हम कार्यकर्ता और हमें यहां बुलाया गया है तो फिर अंदर क्यों नही जाने दिया जा रहा है। हम लोग पार्टी से जुड़े हैं और फील्ड पर काम करते हैं तो हमारे भी कुछ काम होते हैं, जिन्हें हम सीएम के सामने रखना चाहते हैं। अगर हमारी बात ही नहीं सुनी जाएगी तो हमारा यहां आने से क्या फायदा। अंदर से हम लोगों को धक्का देकर बाहर कर दिया गया है। इस गुस्से में बहुत से कार्यकर्ता वापस चले गए हैं।’
मझौलिया से आए राजेश कुमार अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहते हैं कि, ‘हम लोग दिन भर गांव में घूम-घूम कर पशु टीका करते हैं। वर्षों से पशु धन मंत्री से अपना भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रही है। ऐसी सरकार को वोट देकर क्या फायदा जहां हमारी कोई सुनवाई ही न हो। हम लोग इस सरकार का विरोध करेंगे। हम जब यहां आए हैं तो हमारे साथ गलत व्यवहार हो रहा है।’
एक गांव से आए एक अन्य व्यक्ति काफी गुस्से में दिखे उनका कहना है कि ऐसा व्यवहार कौन करता है। यहां बुलाकर बेइज्जत किया जा रहा है। हम लोग सीएम से मिलकर अपनी मांग रखना चाहते थे, हमें धक्के देकर निकाल दिया गया, ये गलत है। बैरिया से सोनू कुशवाहा ने बताया कि, ‘मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखना चाहते थे लेकिन उन लोगों ने धक्का देकर हमें बाहर कर दिया। सरकार हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे हम कहीं बाहर से आए हैं। अगर अंदर बैठने की व्यवस्था नहीं कर पा रहे थे तो हमें बुलाया ही क्यों गया है। ऐसी सरकार का हम लोग विरोध करेंगे।’
बिहार में पशु मैत्री और टीकाकर्मी वे लोग हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं का टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, टैगिंग, और अन्य पशु से जुड़ी सेवाएं देते हैं। ये कर्मचारी पशुपालक किसानों की सहायता करते हैं और पशुपालन विभाग की ओर से दिए गए अलग-अलग काम करते हैं। पशु मैत्री और टीकाकर्मी सरकार से अपने काम के बदले नियमित और निश्चित मासिक मानदेय की मांग कर रहे हैं, इनका कहना है कि उन्हें वर्तमान में मानदेय मिलने में देरी होती है और राशि कम है।