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पटना डेस्कः लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश में गहमागहमी जारी है। देश में इस बात की चर्चा है कि अगील सरकार किसकी बनेगी। सभी पार्टियां चुनाव में भारी जीत का दावा कर ही है। दूसरी तरफ इस बार बिहार के 40 लोकसभा सीटों पर कैंडिडेट को लेकर अभी तक जो डाटा आया है वह काफी रोचक है। इस चुनाव में अभी तक एनडीए के तरफ से सबसे अधिक बुजुर्ग पहलवान को दंगल में उतारा जा रहा है।

बिहार में मौजूद 40 कैंडिडेट बाद में से 28 दूसरी बार या उससे अधिक बार सांसद चुने जा चुके हैं। लेकिन 12 ऐसे भी हैं जिन्हें पहली बार सांसद बनने का मौका मिला। जबकि 16 सांसदों को राजनीति विरासत में मिली है। ऐसे में एनडीए में हैट्रिक लगाने वाले बुजुर्ग सांसदों की सूची काफी लंबी है। इसमें लोजपा  (रामविलास) की तुलना में भाजपा, जदयू, हम,रालोमो ने सबसे अधिक बुजुर्ग पहलवान को दंगल में उतारा है। लोजपा (रामविलास ) से सिर्फ एक अनुभवी कैंडिडेट अनुभवी और उम्रदराज कैंडिडेट वैशाली की संसद देवी है।

दरअसल, इस बार के दंगल में भाजपा के तरफ से जो पहलवान उतरे हैं उनमें गिरिरिराज सिंह, राधा मोहन सिंह, रविशंकर प्रसाद एवं राजकुमार सिंह का नाम है। पार्टी ने इन्हें टिकट देकर क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता को ही अंतिम आधार माना है। इसकी वजह है कि रविशंकर प्रसाद की पहचान वर्तमान समय में चुनिंदा कायस्थ नेता के रूप में होती है। इस तरह आरके सिंह ने अपने काम से अपनी एक अलग पहचान बनाई है यही कारण है कि पार्टी ने उनकी आयु को नजरअंदाज कर इस बार भी उनपर दांव लगाया है। इसके अलावा गिरिराज सिंह भी भूमिहार समाज में अपनी एक अच्छी पहचान रखते हैं और हिंदुत्व वाली छवि भी रखते हैं। इसके साथ में भाजपा के बुजुर्ग नेता में रामकृपाल यादव,प्रदीप सिंह, सुशील सिंह, डॉक्टर संजय जयसवाल, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का भी नाम शामिल है। इनलोगों को भी जातीय समीकरण का काफी फायदा मिला है।

वहीं जदयू से चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, कौशलेंद्र कुमार, गिरधारी यादव, अजय कुमार मंडल, आलोक कुमार सुमन, दिनेश चंद्र यादव, दुलालचंद्र गोस्वामी, रामप्रित मंडल एवं देवेश चंद्र ठाकुर ऐसे नेता और राजनीति में पक्के -पकाए चेहरे हैं। मतलब सीधा शब्दों में कहे तो राजनीति के बुजुर्ग पहलवान की लिस्ट में इनलोगों का भी नाम शामिल है। 

उधर, हम में पूर्व मुख्यमंत्री  जीतन राम मांझी तो रालोमो में उपेंद्र कुशवाहा है इनके पास भी काफी राजनीतिक अनुभव है। लिहाजा इन्हीं अनुभव के सहारे में ये दोनों नेता खुद चुनावी दंगल में अपनी किस्तम अजमा रहे हैं। हालांकि, एनडीए में इस बार जदयू ने दो युवा नेता को भी मौका दिया है। जिसमें एक सीट वाल्मीकिनगर है तो दूसरा सिवान का सीट है।

लेकिन, सबसे मौका  चिराग पासवान की पार्टी ने दिया है। यहां चिराग समेत चार युवा चेहरे को मौका दिया गया हैं। मतलब सिर्फ एक ही पहलवान ऐसा है जिसका अनुभव पुराना रहा है। जबकि भाजपा ने एक बार फिर पुराने चेहरे को मौका देने का निर्णय लिया है। हालांकि, बिहार में 3 सांसदों का टिकट जरूर काटा है। लेकिन उन इलाकों में भी कोई युवा चेहरा मैदान में नहीं है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ेड़निये एनडीए ने कादि सधी हुई राजनीति के तहत एक-एक सीट पर अपने उम्मीदवार को उतारा है।

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