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लाइव बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान जब से हुआ है कई नेताओं का टिकट लग गया है तो वहीं कई बड़े नेताओं का टिकट भी काट गया है. टिकट कटने वाले नेताओं में अब एक बड़ा नाम ददन पहलवान का भी जुड़ गया है. जी हां, खबरे आ रही हैं कि इस बार के चुनाव में जदयू की ओर से उनका टिकट काट गया है. लेकिन ददन पहलवान पहलवान भी ठहरे नहीं, उन्होंने ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरने का मन बना लिया है.

बताया जा रहा है की उनका टिकट पहले कन्फर्म था. खुद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह उनके लिए पैरवी कर रहे थे. लेकिन इसके बाद भी अब उनकी बात बनते नहीं दिख रही है और खबर है कि उन्हें जदयू की ओर से टिकट नहीं मिला है. ऐसे में चुनव की तैयारी में जुटे ददन पहलवान ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरने का मन बना लिया है. वे 6 तारीख को डुमरांव सीट से पर्चा भरेंगे.

बता दें कि ददन पहलवान डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से कई सालों से चुनाव जीतते आ रहे हैं उन्होंने 2000 से 2005 और फिर 2015 में इस सीट से विधायक रहे हैं. 2015 विधानसभा में वे भारी मतों से विजय प्राप्त किया था.

कौन हैं ददन पहलवान
ददन पहलवान भी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की तरह पहलवानी से राजनीति में आय हैं. ददन पहलवान 2010 तक ददन सिंह कहलाते थे, उसके बाद ददन यादव हो गए. क्योंकि चुनाव आने वाले थे. यादव बिहार में लगभग 14 प्रतिशत हैं और सबसे बड़ा जाति समूह है. वे 2004 में वीर लोरिक की 56 फीट ऊंची पीतल की मूर्ति अपने घर में लगवाने के लिए भी चर्चा में आए थे. बता दें कि किसी खास दल से उन्हें विशेष प्रेम नहीं रहा है, न ही द्वेष रहा है. 2014 में उधार के पैसों से चुनाव लड़ते वक़्त वे ‘बहन’ मायावती के हाथी पर सवार थे. और उससे पहले मुलायम सिंह की साइकिल पर. लेकिन पत्नी के नाम से उधार लिया पैसा काम न आया और पहलवान जी चुनाव हार गए. फिर उन्होंने विधायकी के चक्कर में नीतीश कुमार के जेडीयू का तीर पकड़ लिया.

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