Dhanteras 2025: भगवान धन्वंतरि के चमत्कारी जन्म का रहस्य — स्वास्थ्य और समृद्धि का शुभ पर्व

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धनतेरस 2025 पर भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन और आयुर्वेद की स्थापना का पर्व मनाया जा रहा है।
Highlights
  • • धनतेरस 2025 पर भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन मनाया जाता है • यह पर्व धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है • समुद्र मंथन से आज ही के दिन अमृत कलश लेकर निकले थे धन्वंतरि • इन्हें आयुर्वेद का जनक और वैद्यक शास्त्र का देवता माना गया है • धनतेरस पर पीतल या सोना खरीदने की परंपरा इसी से जुड़ी है • भगवान धन्वंतरि विष्णु के बारहवें अवतार माने जाते हैं

धनतेरस 2025: भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन और आयुर्वेद की दिव्य शुरुआत

धनतेरस दीपावली की दस्तक है। यह वह दिन है जब हम समृद्धि और स्वास्थ्य दोनों का स्वागत करते हैं। धनत्रयोदशी यानी धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मानी जाती है। लेकिन शास्त्र बताते हैं कि यह पर्व केवल धन का नहीं बल्कि स्वास्थ्य और आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि के जन्म का भी उत्सव है।
यही कारण है कि धनतेरस को धन और स्वास्थ्य दोनों का पर्व कहा गया है।

भगवान धन्वंतरि — आयुर्वेद और चिकित्सा के जनक

Dhanteras 2025: भगवान धन्वंतरि के चमत्कारी जन्म का रहस्य — स्वास्थ्य और समृद्धि का शुभ पर्व 1

समुद्र मंथन की कथा के अनुसार आज ही के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
वे विष्णु के बारहवें अवतार माने जाते हैं और आयुर्वेद के प्रणेता हैं।
महाभारत, श्रीमद्भागवत, अग्निपुराण, वायुपुराण, विष्णुपुराण और ब्रह्मपुराण सभी में उनका उल्लेख है।
वेदों के अनुसार स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है और इसी भावना को यह पर्व दर्शाता है।

भगवान धन्वंतरि की चार भुजाएँ हैं —
• ऊपरी दो में शंख और चक्र
• एक में औषध और जलूका
• और चौथी में अमृत कलश

इन्हें पीतल प्रिय धातु माना गया है, इसलिए धनतेरस पर पीतल या धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा जुड़ी हुई है।

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धन्वंतरि और आयुर्वेद की उत्पत्ति की कथा

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा ने एक लाख श्लोकों का आयुर्वेद रचा, जिसे प्रजापति, अश्विनी कुमार, इन्द्र और अंततः धन्वंतरि ने सीखा।
धन्वंतरि से सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा की विद्या प्राप्त की और ‘सुश्रुत संहिता’ की रचना की।
वायु पुराण और ब्रह्माण पुराण में धन्वंतरि को आयुर्वेद का उद्धारक बताया गया है।
कहा जाता है कि उन्होंने मानवजाति को स्वास्थ्य और दीर्घायु का मार्ग दिखाया।

काशी से जुड़ा धन्वंतरि का ऐतिहासिक महत्व

धन्वंतरि काशी के राजा धन्य के पुत्र थे।
बाद में काशी में उनके वंशज राजा दिवोदास ने ‘शल्य चिकित्सा’ का पहला विद्यालय स्थापित किया, जिसके प्रमुख थे सुश्रुत — जिन्हें दुनिया का पहला सर्जन माना जाता है।
काशी में आज भी कार्तिक त्रयोदशी यानी धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
यहीं शंकर ने विषपान किया और धन्वंतरि ने अमृत प्रदान किया — यही कारण है कि काशी को अमर नगरी कहा जाता है।

धन्वंतरि के तीन रूप — पुराणों के अनुसार

हमारी परंपरा में धन्वंतरि के तीन रूपों का उल्लेख मिलता है —
1️⃣ समुद्र मंथन से उत्पन्न धन्वंतरि
2️⃣ धन्व के पुत्र धन्वंतरि
3️⃣ काशिराज दिवोदास धन्वंतरि

इन तीनों का उद्देश्य मानव जीवन में आरोग्य, समृद्धि और अमृत ज्ञान का प्रसार था।
वेदों में अश्विनी कुमारों की तरह धन्वंतरि को भी देव वैद्य का दर्जा प्राप्त है।

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धनतेरस का आधुनिक संदेश — स्वास्थ्य ही असली धन

धनतेरस को हम अक्सर केवल सोना-चांदी खरीदने का अवसर मानते हैं,
लेकिन इसका मूल संदेश है —
स्वास्थ्य, आरोग्य और समृद्धि का संतुलन।
भगवान धन्वंतरि के पूजन से न केवल लक्ष्मी की कृपा बल्कि दीर्घायु और स्वास्थ्य का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

इस प्रकार धनतेरस 2025 केवल एक पर्व नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन की अमृत भावना का उत्सव है।

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