पटनाः भाकपा माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने हिंडेनबर्ग रिसर्च की दूसरी रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की गहन जांच की जरूरत की मांग की है। पहले कदम के रूप में स्पष्ट रूप से सेबी के अध्यक्ष पद से माधबी पुरी बुच का इस्तीफा होना चाहिए। अडानी घोटाले पर हिंडनबर्ग रिसर्च की दूसरी रिपोर्ट कुछ मायनों में पहली रिपोर्ट से भी अधिक विस्फोटक है। पहली रिपोर्ट ने अडानी समूह द्वारा की गई बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी को उजागर किया था और गौतम अडानी को धन की वैश्विक सीढ़ी से नीचे धकेल दिया था।
मोदी-अडानी गठजोड़ को लेकर भारतीय संसद सहित पूरे भारत में सवाल उठाए गए थे। जवाब मांग रहे सांसदों को अयोग्य ठहराने, निष्कासित करने और गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया, लेकिन मोदी ने अडानी के बारे में एक शब्द नहीं कहा। मोदी का मुंह लोकसभा चुनाव के दौरान एक निराशाजनक चुनावी भाषण में खुला जब उन्होंने अंजाने में अंबानी और अडानी पर कांग्रेस को काला धन मुहैया कराने का आरोप लगाया।
माधबी और धवल बुच का प्रत्युत्तर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में उल्लिखित बुनियादी तथ्यों को ही पुष्ट करता है। सेबी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे पर भी दोबारा गौर किया जाना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को सेबी द्वारा जांच किए गए बाईस मामलों को फिर से खोलना चाहिए। यूपीएससी, चुनाव आयोग से लेकर सेबी तक, मोदी युग में हर संस्था से समझौता किया गया है और उस पर कब्जा कर लिया गया है। हर जांच एजेंसी को विपक्ष के खिलाफ हथियार बना दिया गया है। भाकपा-माले मांग करती है कि सेबी प्रमुख को तत्काल इस्तीफा देना होगा और सुप्रीम कोर्ट अडानी घोटाले की दोबारा जांच कराए।
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