“Bihar Election 2025: 7 बड़े सर्वे और ‘पोल ऑफ द पोल्स’ का चौंकाने वाला विश्लेषण — नीतीश के पक्ष में सहानुभूति, पर किसी के पक्ष में नहीं लहर!”

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बिहार चुनाव 2025 में वोट शेयर और सीटों की दौड़ में एनडीए-इंडी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर
Highlights
  • • बिहार चुनाव 2025 में 6 और 11 नवंबर को होगा मतदान। • 7 प्रमुख सर्वे में दिखा कांटे का मुकाबला — किसी के पक्ष में नहीं लहर। • एनडीए को 38–40% और इंडी गठबंधन को 37–39% वोट शेयर का अनुमान। • सीटों के अनुमान में एनडीए 110–130, इंडी गठबंधन 105–120 सीटों तक। • महिलाएं एनडीए के साथ, युवा तेजस्वी यादव के साथ झुकाव दिखा रहे हैं। • प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी 8–10% वोट के साथ नए विकल्प के रूप में उभर रही है। • नीतीश कुमार के प्रति सहानुभूति, पर अंतिम फैसला जनता के हाथों में।

बिहार चुनाव 2025 की उलटी गिनती शुरू: सियासत में अनिश्चितता का दौर

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले और दूसरे चरण का मतदान क्रमशः 6 और 11 नवंबर को होने वाला है, और अब मतदान की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।
राजनीतिक हलकों से लेकर आम मतदाताओं तक, हर कोई यह जानना चाहता है कि सत्ता की कुर्सी इस बार किसे मिलेगी — लेकिन अभी तक किसी भी पार्टी या गठबंधन के पक्ष में कोई स्पष्ट लहर दिखाई नहीं दे रही है।
हालांकि, यह बात स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति जनता में सहानुभूति की लहर महसूस की जा रही है।

“Bihar Election 2025: 7 बड़े सर्वे और ‘पोल ऑफ द पोल्स’ का चौंकाने वाला विश्लेषण — नीतीश के पक्ष में सहानुभूति, पर किसी के पक्ष में नहीं लहर!” 1

सात प्रमुख सर्वे और ‘पोल ऑफ द पोल्स’ का खुलासा

अब तक आए सात प्रमुख चुनाव पूर्व-सर्वेक्षण —
LiveMint, JVC Poll, C Voter, NewsX, Lok Poll, Vote Vibe (Amitabh Tiwari) और अन्य —
सभी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बिहार में मुकाबला बेहद कांटे का होने जा रहा है।

इन सर्वेक्षणों का औसत बताता है कि न तो एनडीए और न ही इंडी गठबंधन किसी स्पष्ट बढ़त में हैं।
जहां कुछ सर्वे में एनडीए आगे दिखाया गया है, वहीं कुछ में इंडी गठबंधन को मामूली बढ़त दी गई है।
मतलब साफ है — यह चुनाव “फोटो फिनिश” वाला मुकाबला बनने जा रहा है।

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सर्वे की गणित: वोट शेयर में 1–2% का ही फासला

‘पोल ऑफ द पोल्स’ के अनुसार, वोट शेयर के अनुमान इस प्रकार हैं —
• एनडीए (बीजेपी + जेडीयू + सहयोगी) : 38% – 40%
• इंडी गठबंधन (आरजेडी + कांग्रेस + वाम दल) : 37% – 39%
• जन सुराज पार्टी (प्रशांत किशोर) : 8% – 10%
• अन्य (छोटे दल + निर्दलीय) : 10% – 12%

इसका अर्थ यह है कि दोनों प्रमुख गठबंधनों के बीच महज 1–2 प्रतिशत का अंतर है।
जहां लोक पोल ने इंडी गठबंधन को 38.5% और एनडीए को 37.2% दिया, वहीं Vote Vibe में यह अंतर केवल 1 प्रतिशत (इंडी 36%, एनडीए 35%) का रहा।
JVC Poll ने सबसे ऊंचा अनुमान लगाते हुए एनडीए को 41% तक वोट शेयर मिलने की संभावना जताई।

सीट प्रोजेक्शन: हंग असेंबली की आशंका बरकरार

243 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटें जरूरी हैं।
सर्वेक्षणों के अनुसार सीटों का औसत अनुमान कुछ इस प्रकार है —
• एनडीए: 110–130 सीटें
• इंडी गठबंधन: 105–120 सीटें
• जन सुराज + अन्य: 8–15 सीटें

C Voter और NewsX ने एनडीए को 125–135 सीटों तक पहुंचाया है, जबकि Lok Poll ने इंडी गठबंधन को 118–126 सीटें दी हैं।
Vote Vibe ने एनडीए को 115–120 और इंडी गठबंधन को 110–118 सीटों के बीच रखा है।
इन आंकड़ों से यह साफ जाहिर है कि हंग असेंबली की संभावना बहुत प्रबल है।

जातिगत समीकरण: महिलाएं नीतीश के साथ, युवा तेजस्वी के साथ

सामाजिक और जातिगत आधार पर देखें तो तस्वीर बेहद दिलचस्प है —
• महिलाएं: 45–48% तक एनडीए के साथ हैं, क्योंकि उन्हें नीतीश सरकार की योजनाओं — साइकिल योजना, शराबबंदी, और आर्थिक प्रोत्साहन योजनाओं — का सीधा लाभ मिला है।
• युवा वर्ग (18–35 वर्ष): तेजस्वी यादव के नौकरी वादे से प्रभावित होकर 42–45% तक इंडी गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं।
• मुस्लिम + यादव: इंडी गठबंधन के कोर वोटर्स हैं, जिनसे 75–80% समर्थन मिल रहा है।
• सवर्ण + ईबीसी: एनडीए का मजबूत आधार बने हुए हैं, और 60–65% तक समर्थन दे रहे हैं।
• दलित समुदाय: महादलित एनडीए के साथ हैं, जबकि पासवान समुदाय एनडीए और इंडी गठबंधन के बीच बंटा हुआ है।

मुख्यमंत्री की लोकप्रियता रेस: तेजस्वी आगे, नीतीश को सहानुभूति वोट

मुख्यमंत्री पद की लोकप्रियता में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है —
• तेजस्वी यादव: 35–38% जनसमर्थन के साथ सबसे आगे।
• नीतीश कुमार: 22–28% समर्थन के साथ दूसरे स्थान पर।
• प्रशांत किशोर: 8–12% समर्थन के साथ नए विकल्प के रूप में उभरते हुए।

यह आंकड़ा बताता है कि 20 वर्षों की सत्ता-विरोधी लहर के बावजूद नीतीश कुमार की लोकप्रियता कायम है।
मतदाताओं के बीच उनके प्रति सहानुभूति की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

नीतीश कुमार: सियासी चाणक्य की अगली चाल पर टिकी निगाहें

बिहार के “सियासी चाणक्य” कहे जाने वाले नीतीश कुमार फिर एक बार चुनावी केंद्रबिंदु बने हुए हैं।
चर्चा इस बात की है कि 14 नवंबर के बाद वे कौन-सी सियासी चाल चलते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
नीतीश का अंदाज़ — ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर — इस चुनाव में भी चर्चा का विषय है।
उनकी यही रणनीतिक अस्पष्टता समर्थकों और विरोधियों दोनों के लिए पहेली बनी हुई है।

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मुद्दों की राजनीति: बेरोजगारी से लेकर महंगाई तक

सर्वेक्षणों में मतदाताओं ने जिन मुद्दों को सबसे अहम बताया, वे इस प्रकार हैं —
• बेरोजगारी: 62%
• महंगाई: 28%
• अपराध: 22%
• बाढ़ और प्रवासन: 18%

हालांकि नीतीश सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी 45–50% तक बढ़ी है, लेकिन भाजपा की ब्रांड इमेज एनडीए को सेफ जोन में बनाए हुए है।
दूसरी ओर, तेजस्वी यादव की युवा अपील और महागठबंधन का जातीय आधार विपक्ष को मजबूती देता दिख रहा है।

बिहार में ‘क्लोज फाइट’ तय, फैसला जनता के हाथ में

‘पोल ऑफ द पोल्स’ के सभी संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि बिहार चुनाव 2025 एक रोमांचक और संतुलित मुकाबला साबित होगा।
जहाँ एक ओर एनडीए अनुभव और मोदी-नीतीश की जोड़ी पर भरोसा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर इंडी गठबंधन युवाओं और सामाजिक समीकरणों पर दांव लगा रहा है।
जन सुराज पार्टी और अन्य दलों के 10% वोट शेयर इस चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।
अंततः फैसला जनता के वोट से ही तय होगा — कौन बनेगा बिहार का नया नेता!

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