बिहार चुनाव से पहले 35 लाख वोटरों पर चुनाव आयोग का हमला, 12 लाख से अधिक पाये गए मृत..

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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं का वैरिफिकेशन में बड़ा खुलासा हुआ है। चुनाव आयोग के अधिकारिक बयान के मुताबिक SIR (Special Intensive Revision) के तहत बिहार में अब तक कुल मतदाताओं में 1.59% मतदाता मृत पाए गए हैं। इसका मतलब 12 लाख 55 हजार 620 मतदाता मृत पाए गए हैं। चुनाव आयोग इनका नाम काट दिया है। इसके अलावा 17 लाख 37 हजार 337 है, जबकि जिनका नाम अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाया गया है और इनकी संख्या 5 लाख 76 हजार 480 है।

चुनाव आयोग के बयान के आधार पर अगर तीन कैटेगरी में शामिल प्रतिशत को संख्या में बदले तो अब तक 35 लाख 69 हजार 437 मतदाताओं के नाम कट चुके हैं। हालांकि ये संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि अभी 11.82 % मतदाताओं को अपना नामांकन फॉर्म भरना बाकी है और अब तक 88.18% मतदाताओं को ही नामांकन फॉर्म प्राप्त हुआ है। इनमें 83.66% मतदाताओं के नामांकन फॉर्म ही चुनाव आयोग को प्राप्त हुआ है क्योंकि बाकी 4.52% मतदाता तीन कैटेगरी में है जिनके नाम काट दिए गए है।

SIR की शुरुआत से पहले बिहार के मौजूदा मतदाता सूची में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 है और इनमें 6 करोड़ 6 लाख 67 हजार 208 मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल हो गए है और ये संख्या अभी और बढ़ेगी. SIR के तहत Enumeration form भरने की प्रक्रिया अभी 11 दिन और शेष हैं और इसलिए मतदाता सूची से जुड़े आंकड़े में बदलाव भी होगा।

मतदाता सूची की समीक्षा के दौरान मृत मतदाताओं, डुप्लीकेट मतदाताओं और स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम कटने और नए मतदाताओं के नाम जुड़ने की प्रक्रिया नई नहीं है. लेकिन बिहार के SIR पर जिस तरह से विपक्ष ने सवाल उठाया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है, उससे एक बात साफ है कि भले ही सही मतदाताओं के नाम ही मतदाता सूची से कटा हो लेकिन विपक्ष इसे एक बड़ा मुद्दा सत्तापक्ष और चुनाव आयोग के खिलाफ बनाएगा. विपक्ष लगातार चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन के फैसले को लेकर सत्ता पक्ष पर हमलावर है।

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