जनता दल यूनाइटेड के नेता और मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश के बाद बिहार की सियासत में हलचल मच गई है. लगातार विपक्ष की ओर से निशाना साधा जा रहा है. जैसे ही मंत्री मदन साहनी ने इस्तीफे की पेशकश की वैसे ही विपक्ष सरकार पर हावी हो गया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कई सवाल किए.
भाजपा के पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने अधिकारियों से कई सवाल पूछे हैं. आरके सिन्हा ने कहा है कि मंत्रियों की बात अधिकारियों को माननी होगी नहीं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है. आरके सिन्हा ने मदन साहनी के इस्तीफे की पेशकश को लेकर निंदा पेश की है.
आर के सिन्हा ने कहा कि कार्यपालिका भी लोकतंत्र के मर्यादाओं के अनुरूप ही कार्य करे- अफसर यह समझें कि अब अंग्रेजों का जमाना चला गया, वे लोकतंत्र के वेतनभोगी सेवक है!
बिहार में एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने अपने इस्तीफे की पेशकश सिर्फ इसलिए की है कि वे अफसरशाही की निरंकुशता से और अफसरशाही के बिलकुल असंवेदनशील व्यवहार से रुष्ट है। वास्तव में लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सबका कार्य बहुत ही विस्तृत रूप से वर्णित है संविधान के द्वारा। जो निर्वाचित जनप्रतिनिधि है, जिसको मंत्री का भार दिया गया है, उसके बात को मानने के लिए कार्यपालिका बाध्य होती है। हां अगर वो कोई गैर कानूनी काम करने के लिए कह रहे हैं तो उसमें वो पोटेस्ट कर सकते हैं, लेकिन अगर कोई योजना उनके मन आती है और वे बताते हैं कि इस पर काम करना है तो कार्यपालिका को इस पर काम करना चाहिए । विधायिका और कार्यपालिका में ऐसे विवाद बंद होना चाहिए। क्योंकि, अंग्रेजो का जमाना खत्म हो गया है और हम लोकतंत्र में जी रहे हैं । सभी को लोकतंत्र के आस्थाओं के अनुसार कार्य करना होगा। ।