RK Sinha, Founder SIS, Former member of Rajya Sabha, at his residence, for IT Hindi Shoot. Phorograph By - Hardik Chhabra.
- Advertisement -

अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भब्य रूप से सम्पन्न हो गई। संत समाज के अलावा पूरे विश्व से मात्र लगभग ढाई – तीन हज़ार चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें सौभाग्य से मैं सपत्नीक आमंत्रित था ।यह सबों के लिये जीवन के एक दुर्लभ क्षण के रूप में याद रखा जाएगा। यह कल्पना से परे अविस्मरणीय दृश्य रहा। अयोध्या के राम मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि – विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके साथ ही सारा देश सारा देश राममय हो गया।पूरे देश क्या विश्व भर के राम भक्तों के मन में भावनाओं की अनंत आनंद के हिलोरें हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति में शब्द सक्षम या पर्याप्त नहीं हैं। कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक,राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना दिया है। अब अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर भारत की एकता और भक्ति के प्रतीक के रूप में खड़ा हैन केवल भव्यता मेंबल्कि देश-विदेश से मिले योगदान के रूप में भी यह मंदिर अद्वितीय है।कई बुद्धिमान कह रहे थे कि दक्षिण के प्रदेशों में ख़ासकर तमिलनाडु और केरल में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का विरोध हो रहा है । लेकिन आज अयोध्या की सड़कों पर जो दृश्य मैंने देखा वह तो बिलकुल अलग था । छोटे से अयोध्या नगरी में लाखों स्त्री – पुरुष भरे पड़े हैं । कोई सड़क ख़ाली नहीं दिखी । सरयू का तट भी भरा पड़ा है । इसमें पूरे देश के सभी राज्यों से आये हुए लोग थे । तमिलनाडु तो भरपूर थे । शंकर महादेवन का राम का भजन तो अद्भुत था । प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथराष्ट्र स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत हजारों राम भक्तों की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हो गया।सभी के सभी अथिति सुबह दस बजे से लेकर साढ़े तीन बजे तक मंत्र मुग्ध होकर बैठे रहे चाहे अमिताभ बच्चन हो या मुकेश अंबानी सचिन तेंदुलकर हों या अक्षय कुमार माधुरी दीक्षित होंकंगना रानौतश्री श्री रविशंकर हों या बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री हेमा मालिनी जी हों या दीदी माँ साध्वी ऋतंभरा सब के सब साढ़े पाँच घंटे बैठे रहे !

 मुझे भी सपत्नीक  इस अनुपम और यादगार अवसर पर राम लला के दर्शन का सौभाग्य मिला।बेशक,  यह मंदिर उस अटूट विश्वास और उदारता का प्रमाण है जो किसी सीमा से परे किसी मंदिर के तीर्थाटन के लिए पूरे देश को जोड़ती है। मंदिर का मुख्य भाग तो राजसी ठाठ -बाट लिए हुए है। यह राजस्थान के मकराना संगमरमर की प्राचीन श्वेत शोभा से सुसज्जितहै। इस मंदिर में देवताओं की उत्कृष्ट नक्काशी कर्नाटक के चर्मोथी बलुआ पत्थर पर की गई है। जबकिप्रवेश द्वार की भव्य आकृतियों में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है।  मैं मानता हूं कि इस मंदिर के लिए भक्तों का किया गया योगदान निर्माण सामग्री से से लेकर कहीं आगे तक जाता है। मंदिर में गुजरात की उदारता उपहार स्वरूप 2100 किलोग्राम की शानदार अष्टधातु घंटी के रूप में दिखती है जो इसके हॉलों में दिव्य धुन के रूप में गूंजा करेगी । इस दिव्य घंटी के साथगुजरात ने एक विशेष नगाड़ा‘ ले जाने वाला अखिल भारतीय दरबार समाज द्वारा तैयार 700 किलोग्राम का रथ भी उपहार स्वरूपदिया है। भगवान राम की मूर्ति बनाने में इस्तेमाल किया गया काला पत्थर कर्नाटक से आया है। हिमालय की तलहटी से अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ने जटिल नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और हस्तनिर्मित संरचना पेश किए हैं,जो दिव्य क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में खड़े हैं।इस भव्य और दिव्य मंदिर के लिए योगदान की सूची यहीं ख़त्म नहीं होती। पीतल के बर्तन उत्तर प्रदेश से हैं। यहां पर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भरपूर क्रेडिट देना होगा जिन्होंने राम मंदिर के निर्माण कार्य की प्रगति को निरंतर बारीकी से खुद देखा।  उनकी राज्य के मुख्यमंत्रित्व के दायित्वों के साथ-साथ मंदिर के निर्माण के काम पर पैनी नजर रही। राम मंदिर की कहानी सिर्फ सामग्री और उसकी भौगोलिक उत्पत्ति के बारे में बताकर ही समाप्त नहीं होती है । यह उन अनगिनत हजारों प्रतिभाशाली शिल्पकारों और कारीगरों की भक्तिपूर्ण मेहनत की कहानी है जिन्होंने मंदिर निर्माण के इस पवित्र प्रयास में अपना दिलआत्मा और कौशल डाला है। इस बीचजहां सोमवार को जब राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हो रहा था तब पर देश के लाखों मंदिरों और चौराहों पर हनुमान चालीसा और पर सुंदर कांड का पाठ चल रहा था। अकेले दिल्ली-एनसीआर में दो हजार से अधिक स्थानों पर सुंदर कांड का पाठ हुआ। दिल्ली से सटे एनसीआर में ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के उदभट विद्वान डॉ. जे.पी. शर्मा ‘त्रिखा’ के नेतृत्व में सैकड़ों भक्तों ने सुंदर कांड में भाग लिया। इसी तरह से देश भर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा पर लाखों स्थानों पर भंडारों के कार्यक्रम  चले।

बेशक,राम मंदिर अयोध्या में सिर्फ एक स्मारक नहीं हैयह विश्वास की एकजुट संकल्प शक्ति की सफलता का बेमिसाल उदाहरण बनकर उभरा है । हर पत्थर,हर नक्काशी,हर घंटी,हर संरचना एक भारतश्रेष्ठ भारत‘ की कहानी कहती है जो भौगोलिक सीमाओं से परे सामूहिक आध्यात्मिक यात्रा में दिलों को जोड़ता है। राम मंदिर निर्माण  में रूड़की के सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूटहैदराबाद के सीएसआईआर – राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई)बेंगलरु के  इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) पालमपुर (एचपी) का भी अहम योगदान रहा। सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की ने राम मंदिर निर्माण में प्रमुख योगदान दिया हैसीएसआईआर-एनजीआरआई हैदराबाद ने नींव डिजाइन और भूकंपीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिएडीएसटी-आईआईए बेंगलुरु ने सूर्या तिलक के लिए सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान कीऔर सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर ने अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए ट्यूलिप खिलाए हैं। इस मौसम में ट्यूलिप में फूल नहीं आते। यह केवल जम्मू-कश्मीर और कुछ अन्य ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में ही उगता है और वह भी केवल वसंत ऋतु में। इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी पालमपुर ने हाल ही में एक स्वदेशी तकनीकी विकसित की हैजिसके माध्यम से ट्यूलिप को उसके मौसम का इंतजार किए बिना पूरे वर्ष उपलब्ध कराया जा सकता है।

इस बीचराम मंदिर के निर्माण में कहीं भी सीमेंट या लोहे और इस्पात का उपयोग नहीं किया गया है। तीन मंजिला मंदिर का संरचनात्मक डिजाइन भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है और यह 2,500 वर्षों तक रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता के मजबूत भूकम्पीय झटकों को बर्दाश्त कर सकता है।सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की प्रारंभिक चरण से ही राम मंदिर के निर्माण में शामिल रहा है। संस्थान ने मुख्य मंदिर के संरचनात्मक डिजाइनसूर्य तिलक तंत्र को डिजाइन करनेमंदिर की नींव के डिजाइन की जांच और मुख्य मंदिर की संरचनात्मक देखभाल की निगरानी में योगदान दिया है।

 इसके अलावा,  हैदराबाद के एनजीआरआई  ने भी नींव डिजाइन और भूकंपीय/भूकंप सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए। कुछ आईआईटी विशेषज्ञ सलाहकार समिति का भी हिस्सा थे और यहां तक कि भव्य भवन के निर्माण में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का भी उपयोग किया गया है। राम मंदिर की एक अनूठी विशेषता इसका सूर्य तिलक तंत्र हैजिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगले एक हज़ार वर्ष तक हर वर्ष श्रीराम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी यानि सूर्य अपने सूर्यवंशी राम को अपनी किरणों का तिलक लगायेंगे । राम नवमी हिंदू कैलेंडर के पहले महीने के नौवें दिन मनाई जाती हैयह आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आती हैजो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिन का प्रतीक है। बहरहालराम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही देशभक्त भारतवासियों के खंडित स्वाभिमान की फिर से स्थापना हो गई है। इससे सारा भारत प्रसन्न है।

(लेखक  वरिष्ठ संपादकस्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here