बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुए पांच साल से अधिक वक्त बीत चुका है. बावजूद इसके पूरे राज्य में अवैध शराब की तस्करी का धंधा जोरशोर से चल रहा है. इस बात का खुलासा एसपी मद्य निषेध द्वारा किया गया है. दरसअल, एसपी मद्य निषेध ने बिहार सभी जिले के एसपी और एसएसपी को एक चिट्ठी लिखी है, जिसने बिहार में लागू शराबबंदी कानून की पोल खोल कर रख दी है.
मद्य निषेध के एसपी द्वारा लिखी गयी चिट्ठी में कहा गया है कि उत्पाद अफसरों की मिलीभगत से पूरे प्रदेश में शराब का अवैध धंधा जोरशोर से चल रहा है. उन्होंने उत्पाद विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाही के संपत्ति की जांच होनी चाहिए. उनके साथ ही उनके रिश्तेदारों के संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए.
हालांकि, प्रदेश के डीजीपी एसके सिंघल ने मद्य निषेध के एसपी के पत्र को निरस्त कर दिया है. इस बाबत डीजीपी कार्यलय की ओर से एक अधिसूचना जारी कर बताया गया है कि गुप्त परिवाद विषय में प्राप्त पत्र को निरस्त किया जाता है. हालांकि, डीजीपी के इस फैसले के बाद अब ये सवाल उठना लाजमी है कि मद्य निशेष के एसपी के पत्र पर कार्रवाई करने के बजाय उसे निरस्त क्यूं कर दिया गया है?
बता दें कि एसपी मद्य निषेध ने उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाही द्वारा शराबबंदी को लेकर किए जा रहे लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उत्पाद विभाग के दारोगा, इंस्पेक्टर और सिपाही के रिश्तेदारों की संपत्ति की जांच की जानी चाहिए.