पटनाः बिहार के 100 साल के मौसमी इतिहास में इस साल राज्य का सबसे गर्म स्थान औरंगाबाद हो गया है। यहां पारा 48.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। यह पारा दुनिया के सबसे गर्म स्थान संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी कैलीफोर्निया स्थित ”डेथ वैली” में सौ साल पहले दर्ज की गई थी। उस समय 56.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज की गई थी। दरअसल, अमेरिका की डेथ वैली में उच्चतम तापमान होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन बिहार का औरंगाबाद तुलनात्मक रूप में बेहद घनी आबादी और वनस्पति वाला क्षेत्र है। अगर मौसम का यहा हाल रहा तो आने वाले वर्षों में बिहार का बड़ा हिस्सा धधकती भट्ठी बन जायेगा।
हिट वेब की चपेट में रहा कई जिले
बिहार में मौसम का हाल यह है कि राज्य के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में राजस्थान के प्रचंड गर्मी वाले इलाकों की तुलना में ज्यादा गर्मी महसूस की जा रही है। बिहार का यह इलाका गर्मियों में पूरी तरह ”हीट वैली” में तब्दील हो गया है। इस साल बिहार का तीन चौथाई भाह खासकर जून में अब तक दो तिहाई भाग भयंकर लू की चपेट में है। दक्षिण-पश्चिमी बिहार के औरंगाबाद, बक्सर,भोजपुर, नवादा, अरवल, शेखपुरा, जमुई, वैशाली, गया, जमुई, रोहतास के विक्रमगंज और डेहरी का तापमान इस साल चरम पर रहा। पिछले साल से ये क्षेत्र गर्मी की वजह से ही आइएमडी के रिकार्ड में आये हैं। यहां पिछले आठ जून से अब तक औसतन उच्चतम तापमान पारा 43 से 47 डिग्री सेल्सियस पार तक दर्ज किया जा रहा है। खास बात है कि दो साल पहले तक केवल गया ही वह क्षेत्र था, जो बिहार का सबसे अधिक गर्म स्थान माना जाता था। अब गया से भी अधिक गर्मी औरंगाबाद, बक्सर, भोजपुर,अरवल, शेखपुरा आदि जिलों पड़ रही है. यह वे इलाके हैं, जहां की गर्मियां और सर्दियां दोनों जीवन के लिए कठिन बन रही हैं।
महज दो हफ्ते तक चलती थी लू
पांच साल साल पहले बिहार में लू औसतन दस दिन चला करती थी, लेकिन पिछले तीन साल से यह आंकड़ा काफी पीछे छूट गया है। इस साल अभी तक 33 दिन लू चली है। इसमें अप्रैल में 10 दिन, मई में 15 दिन और जून में अब तक आठ दिन से लू चल रही है। 16 दिन खतरनाक हीट वेब किसी न किसी जिले में जरूर चली है। बिहार में लू के नजरिये से यह साल सबसे अधिक चरम घटना वाला रहा है। उदाहरण के लिए इस बार अप्रैल और मई में लू के तीन-तीन दौर आये। जून में लगातार आठ दिन से लू का भयावह दौर जारी है। फिलहाल प्राणघातक लू का दायरा लगभग पूरे राज्य में है।
बेतरतीब शहरीकरण ने बढ़ाई परेशानी
बिहार में लू का दौर बेतरतीब शहरीकरण के कारण भी चल रहा है, जो चेतावनी वाली स्थिति में है। ईंट,पत्थर और बालू की निर्माण संस्कृति ने गर्मी को असहनीय बना दिया है। हाइवे और सड़क बनाने के नाम पर पुराने पेड़ काट दिये गये। हरियाली छीन ली गयी, कांक्रीट के जंगल ने शहरों को कहीं अधिक गर्म किया है। इसकी वजह से सूरज से आने वाली ऊष्मा समुचित मात्रा में वातावरण में वापस नहीं जा पा रही है। सतही और भू जल घटने का भी पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ा है। खुले क्षेत्र में भी कमी आयी है. इस तरह वह सारी चीजें जो वातावरण में गर्मी के प्रभाव को कम करती थीं, हम उन्हें खत्म करते जा रहे हैं। बड़े फलदार और छायादार वृक्ष लगाये बिना हम इस मुसीबत से मुक्ति नहीं पा सकते हैं।
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