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न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की एकलपीठ ने तय समय में हलफनामा दायर नहीं करने पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय पर 20 हजार का जुर्माना लगाया। यह राशि विश्वविद्यालय को रजिस्ट्रार के पास बैंक ड्राफ्ट के रूप में जमा करना होगा। फिर रजिस्ट्रार को एक बैंक अकाउंट खोल सारी राशि जमा करनी होगी।

दरअसल याचिकाकर्ता डॉ. राम सागर सिंह ने सेवानिवृत्ति लाभांश के लिए एक याचिका दायर की थी। जिस पर 10 सितंबर को मामले पर पिछली सुनवाई हुई थी। इसमें अदालत ने साफ कर दिया था कि मिथिला विश्वविद्यालय को जवाब देने के लिए अंतिम समय दिया जा रहा है। यदि इस अवधि में भी हलफनामा दायर नहीं किया गया तो उन्हें जुर्माना देना होगा। साथ ही विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों को अवमानना के मामले भी झेलने पड़ेंगे।

मामले पर गुरुवार को सुनवाई हुई तो मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा कोई जवाब नहीं दाखिल किया गया। विश्वविद्यालय को यह बताना था कि सेवानिवृत्त प्रोफेसर को कितना दिया गया है और अभी तक कितना बकाया है। कोई जवाब नहीं मिलने के बाद अदालत लाचार होकर विश्वविद्यालय पर 20, 000 रुपये का आर्थिक दंड लगा दिया गया, जिसपर अब अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी से शिथिल चल रही अदालतों में कार्यरत वकीलों की सहायता के लिए एक नई व्यवस्था की शुरुआत की है। वकालत पेशे से प्रभावित वकीलों को जुर्माने की राशि से आर्थिक सहायता मिलेगी। अदालती कार्यवाही में सुस्ती दिखाने वालों को जो कॉस्ट लगाया जाएगा, उसे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा खोले गए अकाउंट में जमा करना होगा। बाद में उसे जरूरतमंदों वकीलों को नए तरीके से वितरित किया जाएगा।

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