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बिहार का चुनाव जातिए समीकरण को ध्यान में रखकर न लड़ा जाए ऐसा हो नहीं सकता। इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में भी जातिए गोलबंदी करने की पूरी तैयारी पक्ष ओर विपक्ष की ​पार्टियों ने कर रखी है। अगर आप पार्टियों की ओर से सामने आए उम्मीदवारों की लिस्ट को देखें तो आपको साफ समझ आ जाएगा कि किस तरीके से पार्टियों ने जातिए गोलबंदी करने की पूरी तैयारी की है। इस बार के बिहार चुनाव में में खासतौर पर राजनीतिक पार्टियों पर्टियां सवर्ण जातियों की गोलबंदी में लगी हुई हैं।

हर बार की तरह ही इस बार भी विकास ऊपरी तौर पर चुनावी मुद्दा है। लेकिन बगैर जातीय समीकरण के उम्मीदवारों को जीत दिलाना आसान नहीं है ऐसे में इसकी तैयारी पूरी है। बिहार चुनाव में दो राष्ट्रीय पार्टियों ने सबसे ज्यादा भरोसा सवर्ण उम्मीदवारों पर जताया है। बीजेपी और कांग्रेस द्वारा सवर्णो को दिए सीटों पर गौर करें तो कुल मिलाकर 30 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है।

पहले चरण के लिए बीजेपी ने 27 नामों की घोषणा की है। जिनमें से 16 सीट सवर्णों की है। इनमें भूमिहार जाति के 6, राजपूत 7, ब्राह्मण 3 उम्मीदवार शामिल है। बीजेपी की पहली लिस्ट में 3 यादव, 4 अति पिछड़ा समाज, 3 दलित से उम्मीदवार दिया गया है। वहीं कांग्रेस की बात करें तो पहले चरण की 20 सीटों में से 14 टिकट सवर्णों के नाम हैं। इनमें भूमिहार जाति से 6, राजपूत से पांच ब्राह्मण से दो और एक कायस्थ प्रत्याशी को सिंबल दिया गया है। जेडीयू और हम की बात करें तो 40 सीटों में 12 दलित, अति पिछड़ा समाज से, 4 यादव जाति से, 8 कोइरी से, 5 भूमिहार से, पांच राजपूत से, तीन कुर्मी से, दो और एक अल्पसंख्यक वर्ग से कैंडिडेट बनाए गए हैं।

वहीं भाकपा माले की तरफ से कुशवाहा समाज के 5 उम्मीदवारों को सिंबल दिया गया है। इसके अलावा भाकपा माले ने यादव जाति से चार मुस्लिम समाज सीटिंग और दो अति पिछड़ा को भी टिकट दिया है। भाकपा ने 6 उम्मीदवारों में 2 सीट पर भूमिहार और दो पर यादव को उम्मीदवार बनाया है. एक सीट ऐसी और एक अति पिछड़ा के पाले में गई है। बता दें कि पहले चरण की 71 विधानसभा सीटों पर 28 अक्टूबर को वोट डाले जाने हैं और जिस इलाके में पहले चरण की वोटिंग है, वहां सवर्णों की संख्या को देखते हुए सभी दलों ने उन पर दांव लगाया है।

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