रिपुराज चावल उद्योग
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रक्सौल: आयकर विभाग की रक्सौल स्थित रिपुराज एग्रो प्राइवेट लिमिटेड(चावल उद्योग) पर छापामारी के बाद उद्योग की गतिविधियां फिर से सामान्य रूप से जारी हो गयी हैं। शहर के वार्ड पार्षद सोनू गुप्ता और अन्य सामाजिक संगठनों ने ह्हपमारी की जगह जांच करार देते हुए उसे नियमित प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया उद्योग को सरकार से जोड़ने और पारदर्शिता बनाए रखने में सहायक है।

रिपुराज एग्रो प्राइवेट लिमिटेड पर आयकर विभाग की कार्रवाई की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इसका स्थानीय अर्थव्यवस्था और मजदूरों पर प्रभाव पड़ा है। रिपुराज एग्रो प्राइवेट लिमिटेड जैसे उद्योग से हजारों लोग सीधे जुड़े हैं, और लाखों मजदूरों के लिए रोजगार का प्रमुख साधन है। वार्ड पार्षद सोनू गुप्ता ने बताया कि यह उद्योग न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग का संचालन बाधित होने से न केवल मजदूरों की आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि सरकार के राजस्व पर भी असर पड़ेगा।

हालांकि आयकर विभाग की कार्रवाई पर अलग-अलग राय सामने आई। कुछ लोग इसे छापेमारी के रूप में देख रहे थे, जबकि उद्योग मालिक ने इसे रूटीन जांच बताया और आयकर टीम को हरसंभव सहयोग दिया। पार्षद सोनू गुप्ता और अन्य स्थानीय प्रतिनिधियों ने जांच को निष्पक्ष और कानूनी दायरे में रखने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि अनावश्यक रूप से अफवाहें न फैलें। जांच के संदर्भ में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने बिहार में मजदूरों के पलायन पर भी चिंता व्यक्त की।

रक्सौल चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता ने बताया कि औद्योगिक विकास की धीमी गति के कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सीमित हैं। इंडो-नेपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स के राजकुमार गुप्ता और कपड़ा बैंक की संचालिका ज्योति राज गुप्ता ने कहा कि आधुनिक रोजगार के लिए आवश्यक कौशल का अभाव पलायन का मुख्य कारण है।

भारत विकास परिषद के संरक्षक रजनीश प्रियदर्शी ने कहा कि बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पलायन के प्रमुख कारणों में से एक है। इसलिए छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। मजदूरों को प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे आधुनिक रोजगार के लिए तैयार हो सकें। साथ ही रोजगार गारंटी और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लागू करना।
स्थानीय प्रतिनिधियों और संगठनों का मानना है कि यह मुद्दा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक सुधार की भी मांग करता है। ‘सत्याग्रह’ जैसे आंदोलनों के जरिए इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

रिपुराज चावल उद्योग पर आयकर जांच के बाद उत्पादन का काम शुरू हो गया है और उद्योग सामान्य स्थिति में लौट आया है। यह आवश्यक है कि जांच प्रक्रियाओं को निष्पक्ष और पारदर्शी रखा जाए, ताकि न तो मजदूरों की आजीविका प्रभावित हो और न ही सरकार के राजस्व पर असर पड़े। साथ ही, बिहार में पलायन की समस्या का समाधान खोजने के लिए सरकार और समाज को मिलकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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