करवाचौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह 10 अक्टूबर, शुक्रवार को पड़ रहा है। सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हालांकि, कई महिलाओं के मन में सवाल उठते हैं कि मासिक धर्म या गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना सही है या नहीं। आइए जानते हैं इसका सही तरीका।
मासिक धर्म के दौरान करवाचौथ व्रत कैसे रखें?
करवाचौथ का व्रत महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन मासिक धर्म के समय पूजा और अनुष्ठान करने में कुछ प्रतिबंध होते हैं।
• व्रत रख सकते हैं: शास्त्रों के अनुसार, मासिक धर्म में भी व्रत रखना संभव है और इसका कोई नकारात्मक असर नहीं होता। आप चांद देखने तक व्रत सामान्य रूप से रख सकती हैं।
• पूजा से परहेज: मासिक धर्म के दौरान करवा माता की प्रत्यक्ष पूजा और पूजा सामग्री के स्पर्श से परहेज करना चाहिए।
• सहायता लें: आप किसी अन्य सुहागिन महिला से पूजा करवा सकती हैं और दूर से मानसिक रूप से पूजा में भाग ले सकती हैं।
• मंत्र जाप: मंत्रों का जाप करते रहें, इससे व्रत का फल आपको पूर्ण रूप से मिलेगा।
• पारण विधि: चांद निकलने के बाद छलनी से चांद के दर्शन करें और पारण करें।
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नोट: घर में महिला न होने पर पति भी नियमों का पालन करके व्रत और पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं।
गर्भावस्था में करवाचौथ व्रत के नियम
गर्भावस्था के दौरान भी कई महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखना चाहती हैं। यह पर्व साल में एक बार आता है, इसलिए इसे बीच में छोड़ना कई महिलाओं के लिए कठिन होता है।
• सरगी समय: सूर्योदय से पहले हल्का सरगी ग्रहण करें।
• फलाहार और पेय: व्रत के दौरान फल, जल और अन्य पेय पदार्थ लिया जा सकता है।
• कथा का पाठ: गर्भवती महिलाएं व्रत के दौरान कथा का पाठ करके मानसिक रूप से भाग ले सकती हैं।
• पारण: चांद निकलने के बाद छलनी से चांद के दर्शन करें और विधि पूर्वक पारण करें।
• डॉक्टर की सलाह: गर्भवस्था में व्रत रखने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य है। अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो तो व्रत न रखें।

सावधानी: गर्भवती महिलाओं को निर्जला व्रत के बजाय फलाहार या हल्का उपवास करने की सलाह दी जाती है।
मासिक धर्म और गर्भावस्था में ध्यान रखने योग्य बातें
1. व्रत रखते समय शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
2. पूजा सामग्री का स्पर्श न करें, लेकिन मंत्र जाप और मानसिक पूजा जारी रखें।
3. स्वास्थ्य समस्याओं या कमजोरी महसूस होने पर तुरंत व्रत रोक दें।
4. चांद के दर्शन के समय छलनी का उपयोग करें।
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निष्कर्ष
करवाचौथ व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान भी व्रत रखा जा सकता है, लेकिन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है। सही नियमों का पालन करके महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने स्वास्थ्य दोनों की रक्षा कर सकती हैं।
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