त्योहारों पर नीतीश सरकार का तोहफ़ा: बस किराये में सब्सिडी, यात्रियों को बड़ी राहत

त्योहारों पर सब्सिडी और निवेश – Nitish Kumar की दोहरी पहल।

4 Min Read
Highlights
  • • बिहार सरकार ने त्योहारों पर बस किराये में सब्सिडी के लिए 24.06 करोड़ रुपये की मंज़ूरी दी। • दशहरा, दीपावली, छठ और होली पर प्रवासी मज़दूरों और यात्रियों को मिलेगी राहत। • डीलक्स नॉन एसी, डीलक्स एसी और डीलक्स स्लीपर एसी बसों पर लागू होगी योजना। • मुज़फ़्फ़रपुर में 23.36 करोड़ के निवेश से रेडिमेड गारमेंट्स इकाई को हरी झंडी। • सियासी हलकों में इसे जनता से निकटता और निवेश प्रोत्साहन की दोहरी रणनीति माना जा रहा है।

त्योहारों का मौसम बिहार में सिर्फ़ घर-परिवार की मिलनगाथा ही नहीं, बल्कि प्रवासी मज़दूरों की घर वापसी का भी अहम समय होता है। इस बार बिहार सरकार ने जनता को सीधी राहत देने का बड़ा कदम उठाया है। नीतीश सरकार ने 24 करोड़ 06 लाख 36 हज़ार रुपये की राशि बस किराये में सब्सिडी के लिए मंज़ूर की है, ताकि दशहरा, दीपावली, छठ और होली जैसे बड़े पर्वों पर लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।

यह राशि अंतरराज्यीय बस परिचालन पर दी जाने वाली विशेष छूट के लिए इस्तेमाल होगी। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि वर्ष 2025-26 में लोक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर चलने वाली डीलक्स नॉन एसी, डीलक्स एसी और डीलक्स स्लीपर एसी बसों में यह राहत यात्रियों तक पहुंचेगी।

बिहार राज्य पथ परिवहन निगम ने इस योजना की लागत का अनुमान 24.06 करोड़ लगाया था, जबकि मौजूदा बजट में केवल 10 करोड़ का प्रावधान था। ऐसे में शेष राशि बिहार आकस्मिकता निधि से अग्रिम तौर पर उपलब्ध कराई जाएगी। यह कदम सरकार की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें जनता की ज़रूरतों और उत्सवों की रौनक को प्राथमिकता दी गई है।

जनता को राहत और सियासत में संदेश

त्योहारों पर किराये में यह सब्सिडी सीधे तौर पर प्रवासी मज़दूरों और उनके परिवारों के जीवन में बड़ी राहत लाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह ऐलान सरकार की “जनता के करीब रहने वाली छवि” को और मज़बूत करेगा। विपक्ष इसे चुनावी तैयारी करार दे सकता है, मगर यह तथ्य भी अहम है कि बिहार जैसे प्रवासी-प्रधान प्रदेश में इस कदम का व्यापक असर होगा।

उद्योग और निवेश को नई पहचान

सिर्फ़ परिवहन ही नहीं, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में भी बिहार सरकार ने महत्वपूर्ण पहल की है। मुज़फ़्फ़रपुर के बेला औद्योगिक क्षेत्र में 23.36 करोड़ रुपये के निवेश से एक रेडिमेड गारमेंट्स इकाई को मंज़ूरी दी गई है। मेसर्स गो ग्रीन एपेरल लिमिटेड नामक यह इकाई प्रतिवर्ष लगभग 55 लाख परिधान तैयार करेगी। इस परियोजना से स्थानीय रोज़गार को नई दिशा मिलेगी और बिहार की औद्योगिक छवि को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी।

दोहरी रणनीति: राहत और विकास

त्योहारों पर सब्सिडी और उद्योग में निवेश — दोनों निर्णय मिलकर बिहार सरकार की संतुलित रणनीति को दर्शाते हैं। एक ओर यह आम जनता को राहत पहुंचाने और उनकी भावनाओं से जुड़ने का प्रयास है, वहीं दूसरी ओर यह राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने का रास्ता भी खोलता है। यही वजह है कि इस घोषणा ने बिहार की राजनीतिक ज़मीन पर नई हलचल पैदा कर दी है।

त्योहारों की खुशियों को और प्रबल बनाने और राज्य की आर्थिक रफ़्तार को बढ़ाने के लिए बिहार सरकार का यह पैकेज “जनता के हित और विकास” की दोहरी तस्वीर पेश करता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार ने इस कदम से एक ही तीर से दो निशाने साधे हैं — जन भावनाओं को साधना और निवेश का माहौल बनाना।

Share This Article