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पटनाः तमिलनाडु में बिहार मूल के लोगों के साथ मारपीट की खबर आने के बाद से सीएम नीतीश कुमार की आलोचना विपक्ष लगातार कर रही है। साथ ही बिहार सरकार को इस मामले में लापरवाह बने रहने का आरोप लगाया है। जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के लिये अधिकारियों की एक टीम को गठित किया है जिसमें चार सदस्य है. चार सदस्यीय दल जो आज तमिलनाडु जा रहा है उसमें ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डी बालमुरगन, आईपीएस (आईजी सीआइडी) पी. कन्नन, श्रम विभाग के विशेष सचिव अलोक सहित एक अन्य आईपीएस अधिकारी शामिल हैं. वहीं तमिलनाडु में बिहारियों की सुरक्षा को लेकर इसके पहले बिहार के डीजीपी ने तमिलनाडु के डीजीपी से बात की थी. तमिलनाडु डीजीपी ने राज्य में बिहारियों या हिंदीभाषियों पर हमले की घटना से इनकार किया था।

हालांकि बिहार में विपक्षी दल भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों ने बिहारियों की तमिलनाडु में सुरक्षा को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा किया। उन्होंने सीएम नीतीश से मिलकर तमिलनाडु में बिहारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की. जिसके बाद सीएम नीतीश ने अधिकरियों की चार सदस्यीय टीम को तमिलनाडु भेजने पर सहमती जताई। 

वहीं तमिलनाडु के श्रम कल्याण और कौशल विकास मंत्री सीवी गणेशन ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है कि तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में उत्तर भारत के मजदूरों पर हमले हो रहे हैं। तमिलनाडु शांति के लिए जाना जाता है और ऐसी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. साथ ही तमिलनाडु में कक्कलूर इंडस्ट्रियल एस्टेट एसोसिएशन के सचिव ने कहा कि राज्य में प्रवासी श्रमिकों पर हमले की फर्जी खबर के बाद से सभी प्रवासी मजदूर दहशत में हैं. इससे यहां के उद्योग बुरी तरह प्रभावित होते हैं. यहां सभी प्रवासी मजदूर सुरक्षित हैं और एसोसिएशन उनके साथ खड़ा रहेगा।

हालांकि बिहार में तमिलनाडु से लौटकर आए कुछ प्रवासी लोगों ने दावा किया कि तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में हिंदीभाषियों को निशाना बनाया गया है. जमुई में ऐसे कई लोग सामने आए जो तमिलनाडु से लौटकर आए हैं उन्होंने वहां कुछ शरारती तत्वों द्वारा बिहारियों को निशाना बनाए जाने की बात कही। 

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