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Desk: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज PMCH से बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल रही है। इलाज फर्श पर हो रहा है और इमरजेंसी का नया भवन उद्घाटन के 122 दिन बाद भी मरीजों का नहीं हो सका है। सीएम नीतीश कुमार ने 22 सितंबर 2020 को भवन का उदघाटन करते हुए PMCH में बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा किया था, लेकिन आज तक इस सुविधा का लाभ मरीजों को नहीं मिल सका है।

उद्घाटन के दो शिलापट और मरीज एक भी नहीं

PMCH की सर्जिकल इमरजेंसी भवन के आधा हिस्से का विस्तार करते हुए इसे हाईटेक बनाया गया है। इमरजेंसी के बाहर दो शिलापट लगे हैं। एक कार्यारंभ का है, जिसे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने 11 फरवरी 2020 को किया है और दूसरा इमरजेंसी भवन के विस्तार पटल के उन्नयन कार्य के उद्घाटन का, जिसे खुद सीएम नीतीश कुमार ने किया है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की आचार संहिता लागू होने से पहले आनन फानन में किए गए इस उद्घाटन से लग रहा था कि मरीजों की सुविधा के लिए किया जा रहा है। लेकिन 122 दिन बाद भी मरीजों को इमरजेंसी में एक बेड के लिए तरसना पड़ रहा है। दो-दो उद्घाटन के शिलापट यह गवाही दे रहे हैं कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितनी गंभीर है। लेकिन PMCH प्रशासन की मनमानी भारी पड़ रही है।

मरीजों की समस्या को किया जा रहा नजर अंदाज

PMCH में मरीजों की समस्या को नजर अंदाज किया जा रहा है। जिस भवन को मरीजों के लिए हाईटेक बनाया गया उसे अब वैक्सीनेशन के इस्तेमाल में लिया जा रहा है। 16 जनवरी से इमरजेंसी भवन में वैक्सीनेशन का काम किया जा रहा है। ऐसे में अब मरीजों को लंबे समय तक इस भवन में इलाज की उम्मीद भी नहीं है। PMCH में वैक्सीनेशन के लिए किसी अन्य भवन का इस्तेमाल कर मरीजों को भी राहत दी जा सकती थी। लेकिन PMCH प्रशासन मरीजों के दर्द को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है।

एक ही छत के नीचे इलाज के साथ हो जाती जांच

जिस इमरजेंसी भवन का सीएम नीतीश कुमार ने उद्घाटन 122 दिन पहले किया था। उसमें मरीजों को एक ही छत के नीचे जांच और इलाज की सुविधा का दावा किया गया था। इमरजेंसी भवन के ग्राउंड फ्लाेर पर 30 बेड बनाए गए हैं। इसमें 15 पुरुषाें और 15 महिलाओं के लिए रिजर्व हैं। इस सर्जिकल इमरजेंसी में एक ही छत के नीचे इलाज के साथ जांच के लिए सिटी स्कैन, एमआरआई, एक्सरे, अल्ट्रा सोनोग्राफी सहित रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी की सभी सुविधाएं देने का दावा किया गया था। इसमें चार मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर भी बनाए गए हैं। इसमें एक ऑपरेशन थिएटर को HIV संक्रमितों के लिए रिजर्व किया गया है।

इमरजेंसी में बेड का हमेशा रहता है संकट

पटना मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में हमेशा मरीजों की भीड़ होती है। यहां प्रदेश के कोने-कोने से मरीज आते हैं। मरीजों का भरोसा भी PMCH पर है, इस कारण से वह इमरजेंसी में बेड नहीं मिलने के बाद भी फर्श पर इलाज करा लेते हैं। गरीब मरीजों के पास इतना पैसा भी नहीं होता है कि वह पटना में किसी निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाएं। ऐसी स्थिति में वह बेड मिले न मिले, लेकिन इलाज के लिए कतार में लगे रहते हैं। पटना मेडिकल कॉलेज में अगर जीर्णोद्धार किए गए इमरजेंसी के हाईटेक भवन को मरीजों की सुविधा के लिए खोल दिया गया होता तो शायद इस ठंड में फर्श पर लेटकर इलाज कराने की मजबूरी नहीं होती।

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