डॉ इंद्र बली मिश्रा ने बताया कि मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, जाप करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। सूर्य धनु से निकलकर मकर राशि में अपनी यात्रा आरंभ करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। इस बार मकर संक्रांति की तिथियों को लेकर लोग दिग्भ्रमित है, आइये जानते हैं मकर संक्रांति कब मनाना चाहिए।
मकर संक्रांति पर इस बार दो तिथियों को लेकर लोग उलझन में हैं। हालांकि संक्रांति तब शुरू होती है जब सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मकर राशि में पहुंचते हैं। इस बार सूर्य देव 14 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 49 मिनट पर गोचर कर रहें हैं। निर्णय सिंधु के अनुसार 16 घटी पहले और 16 घटी बाद तक पुण्यकाल रहता है।
अतः शास्त्रीय नियमानुसार इस वर्ष मकर सक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी जिसका स्नान दान प्रातःसे ही प्रारंभ हो जाएंगे।
मकर संक्रांति को क्या करें?
उन्होंने ये भी कहा कि इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें। नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें। भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं, भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें।