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लाइव बिहार: तेरी मिट्टी में मिल जाऊं…. बस इतनी सी है आरजू…। किसी भी जवान की इतनी सी ही आरजू होती है कि वो जिस देश की मिट्टी में पैदा हुआ उसके लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दे। लेकिन देश की सेवा में शहीद होने के बाद वो अपने पीछे बहुत कुछ छोड़ जाता है। ये तस्वीर जो आप देख रहे हैं ये उसी सैनिक को आखिरी विदाई देने के लिए पहुंची है।

33 असम राइफल्स के जवान सत्येन्द्र कुमार भट्ट का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके घर पहुंचा कोहराम मच गया। पत्नी और माँ के चीत्कार से मौजूद लोगों का दिल दहल उठा। सभी के आंखों में आंसू थे। यह पूरा माहोल तब और गमगीन हो उठा जब पिता का शव देखते ही मंझला बेटा आशू पिता के शव से लिपट गया और गया। वह कह रहा था कि आपको ड्यूटी पर जाने से रोका था लेकिन फर्ज की बात कहते हुए आप देश सेवा को चले गए। उस दिन घर छोड़ा और आज आप दुनियां ही छोड़ गए।

आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद असम राइफल्स के अधिकारियों व दानापुर मिलिट्री कैंट से आये सेना के जवानों ने सत्येन्द्र के शव को उनके परिजनों को सौंप दिया। बता दें कि नुरचक निवासी लांसनायक सत्येन्द्र भट्ट असम राइफल्स के जवान थे और इम्फाल में पोस्टेड थे। करीब डेढ़ माह पूर्व गश्ती के दौरान उनका वाहन गहरे खाई में जा गिरा। इस घटना में वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनका इलाज इम्फाल के जे एन इ एम एस हॉस्पिटल में चल रहा था। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार उनको गंभीर स्पाइनल इंज्यूरी था। अस्पताल में सबकुछ सामान्य चल रहा था कि 28 नवम्बर को उनके पेट मे अचानक दर्द उठा। डॉक्टर्स इलाज कर ही रहे थे कि उनकी जान चली गई।

वे अपने पीछे पत्नी रीना देवी, बेटा रोहन कुमार(15), आशू कुमार(12) व आदित्य कुमार(9) को छोड़ गए। आसाम रायफल के जवान लांस नायक सत्येन्द्र का शव पालीगंज पहुंचते ही फिजा सत्येन्द्र भट्ट अमर रहे के नारों गूंज उठा। पालीगंज से 12 किमी दूर उनजे गांव नुरचक के रास्ते मे जगह जगह पर लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को ले जा रहे वाहन पर पुष्प वर्षा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

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