- Advertisement -

Desk: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) वर्ष 2021-22 के लिए देश का बजट (Union Budget) पेश किया. उम्मीद थी कि बिहार के लिए भी इसमें काफी कुछ होगा. जाहिर है बिहार जैेसे पिछड़े राज्य के लिए कुछ उम्मीदें तो पूरी हुईं जरूर, लेकिन कई ऐसी बातें शेष रह गईं जिसकी मांग कई वर्षों से की जाती रही हैं. खास तौर पर तब जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM narendra Modi) और राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार है. ऐसे में अपेक्षाओं का भी बढ़ना लाजिमी था.

बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए जो पैकेज की दरकार थी वह भी नहीं मिला. इसके साथ ही अप्रवासी मजदूरों की समस्याओं से परेशान बिहार के लिए कुछ अलग से योजनाएं होनी थीं, उसको भी एड्रेस नहीं किया गया. आइये हम नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही बातों पर जो केंद्रीय बजट से बिहार को नहीं मिल पाया.

बिहार की नीतीश सरकार विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की की मांग बीते कई वर्षों से उठती रही है. लेकिन, इस बार के आम बजट में भी इस मांग पर कोई घोषणा नहीं की गई.


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा थी कि पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए. इसकी मांग उन्होंने स्वंय पीएम मोदी के समक्ष की थी, लेकिन यह उम्मीद इस बार भी पूरी नहीं हुई.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य को एक लाख 65 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी. हालांकि उस घोषणा के की बहुत सारी रकम मिल गई है, लेकिन शेष के लिए कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई.
अमृतसर हावडा इन्डस्ट्रीयल कॉरीडोर को बनने की घोषणा की उम्मीद थी जिससे बिहार के औरंगाबाद, गया, कैमूर जैसे छह जिलों को फायदा होता पर इसके लिए भी कोई ऐलान नहीं किया गया.
दिल्ली मुंबई की तर्ज पर विदेशी कंपनी के सहयोग से बिहार में भी उद्योग जगत को जमीन खरीद के लिए डेडिकेटेड कॉरीडोर की सुविधा मिलने वाली योजना की बात सामने आ रही थी पर वह भी पूरी नहीं हुई.
देश के 117 पिछड़े जिलों में शामिल बिहार के 13 जिलों में उद्योग लगाने पर आयकर और अन्य करों में राहत देने की केंद्र सरकार से उम्मीद थी, लेकिन उस पर भी साफ तौर पर कोई ऐलान नहीं किया गया.
बिहार में हस्तकला उद्योग को व्यवस्थित करने की योजना को लेकर भी उम्मीद की जा रही थी, लेकिन केंद्रीय बजट में बिहार को लेकर ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई.
बिहटा-औरंगाबाद नई रेल लाइन परियोजना और प्रस्तावित बिहटा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को पटना मेट्रो के साथ जोड़ने की मांग की जा रही थी, लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई.

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here