पेप्सी के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी
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बेगूसराय, संवाददाता: बेगूसराय की सृजनशीलता को विदेशी कंपनी पेप्सी के हाथों बंधक बनाये रखने के खिलाफ लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. पांच लाख लोगों के सामने पानी की समस्या मौलिक होकर विकराल हो गयी है.

बेगूसराय होकर गंगा सहित भले ही पांच नदियां गुजरती हों, यहां की करीब पांच लाख आबादी पर भीषण जल संकट आने वाला है। इसकी शुरुआत हो चुकी है। बरौनी प्रखंड और बीहट नगर परिषद के करीब 10 गांव में भूगर्भीय जलस्तर लगातार तेजी से नीचे खिसक रहा है। बीते 6 महीने में जलस्तर कहीं 10 फीट तो कहीं 15 फीट नीचे खिसक गया है।
इसका कारण स्थानीय लोग पेप्सी प्लांट में हो रहे भूगर्भीय जल के दोहन को मान रहे हैं। जिला प्रशासन ने जल स्तर कम होने संबंधी मामले की जांच शुरू कर दी है। हालत यह हो गई है कि असुरारी, हवासपुर, हाजीपुर, बथौली, पपरौर, जीरोमाइल, बीहट, पिपरा और मालती आदि गांव में 50 से अधिक चापाकल फेल हो चुके हैं। सैकड़ों चापाकल की हालत यह हो गई है कि एक बाल्टी पानी भरने के लिए 100 बार से अधिक हैंडल मारना पड़ता है।

जिन लोगों ने घर में मोटर लगाए हैं, उनके मोटर में पानी आ रहा है। घरों में लगाए गए आरओ का महीने-दो महीने में ही फिल्टर बदलना पड़ रहा है। किसान भी परेशान हैं, जिस खेत का पटवन करने में 40 मिनट समय लगता था, उसका पटवन करने में दो से ढाई घंटे लग रहे हैं। कुछ चापाकल से प्रदूषित पानी निकल रहा है। धीरे-धीरे विकराल होते जा रही इस स्थिति को लेकर अब लोग एकत्रित हो रहे हैं। पेप्सी के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी चल रही है, बैठक हो रही है।

पेप्सी से भूगर्भीय जल का दोहन नहीं कर गंगा नदी से पानी लाकर प्लांट चलाने का अनुरोध किया जाएगा। अगर पेप्सी अनुरोध नहीं सुनेगी तो प्रभावित हो चुके लोग न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी में हैं। इसके लिए लीगली सलाह ली जा रही है। पपरौर पंचायत के पूर्व मुखिया और वर्तमान मुखिया प्रतिनिधि अरविंद कुमार राय ने बताया कि पेप्सी प्लांट प्रत्येक दिन पांच लाख गैलन पानी निकलता है।

पांच लाख गैलन में से फिल्टर करके एक लाख गैलन का कोल्ड ड्रिंक और बोतलबंद पानी तैयार करता है। शेष में ऐसा केमिकल मिलाया जाता है जो मनुष्य और जीव जंतु के व्यवहार के लिए उपयोगी नहीं है। उस पानी को तीन गड्ढा के माध्यम से फिर से धरती में छोड़ दिया जाता है। एक लाख गैलन का जो उपयोग हो रहा है, वह हमारे संरक्षित भूमिगत जल से निकल रहा है। इससे अभी पांच किलोमीटर इलाका में पानी का लेवल लगातार गिर रहा है, आने वाले दिनों में इसका दायरा बढ़कर 10 किलोमीटर होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां बहुत जल्द पानी की स्थिति महाराष्ट्र और राजस्थान जैसी हो जाएगी। हमारी पंचायत और अगल-बगल के क्षेत्र में चापाकल का लेयर 10 से 12 फीट पर मिल जाता था, अब वह 20 फीट पर चला गया है। बड़े-बड़े लोगों ने अपने लाभ के लिए इस क्षेत्र को पेप्सी सौंप दिया है। ऐसा फैक्ट्री लगा दिया गया, जिससे हम लोगों को पानी के लिए तरसा कर मारने का प्लान है। इस क्षेत्र में बहुत बड़ा जल संकट उत्पन्न होने वाला है। तालाब सूख रहे हैं, कुआं सुख रहे हैं, अब चापाकल और बोरिंग की बारी है। क्षेत्र के जलस्तर को बनाए रखने के लिए जहां-जहां पड़ेगा जाएंगे, जो करना पड़ेगा करेंगे, धरना-प्रदर्शन और आमरण अनशन करेंगे।

चापाकल फेल होने से परेशान स्थानीय निवासी अमित सिंह एवं पप्पू सिंह ने बताया कि पानी कम होते-होते छह महीना से चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है। लोग गंगाजल पीकर रहेंगे क्या, पेप्सी प्लांट आने के कारण ऐसा हो रहा है। जब से पेप्सी प्लांट बना है, चापाकल का लेयर भाग गया है, बीहट की स्थिति भी काफी खराब हो चुकी है। लेयर बहुत भाग रहा है, सब लोग परेशान हैं, आखिर क्या करें।

चापाकल ने पानी देना कम कर दिया है, इससे गरीब काफी परेशान हैं। जिन्होंने अपने घरों में आरओ लगाया है, इसका फिल्टर तीन महीने में ही काला पड़ जाता है। पानी दूषित किए जाने के कारण काफी परेशानी हो रही है। शासन-प्रशासन इसका उपाय करे, जब पानी ही नहीं बचेगा तो हम लोग कैसे बच पाएंगे।
इस मामले में डीएम रोशन कुशवाहा का बयान लोगों के हितों को पूरा करने के बजाय पेप्सी जैसी कंपनी के लिए ऊपर के आदेश की प्रतीक्षा वाला बयान लगता है। डीएम ने बताया कि अभी गर्मी के समय में जलस्तर की हर पखवाड़े निगरानी की जा रही है। बरौनी और उसके आसपास के क्षेत्र में वाटर लेवल में जो कमी आई है, उसका कारण जानने के लिए पीएचईडी के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों और मवेशी को पानी मिलता रहे। कृषि में ही परेशानी नहीं हो, हर खेत को सिंचाई के लिए जल संसाधन विभाग को निजी नलकूप योजना का प्रचार-प्रसार करने के लिए निर्देशित किया गया है। जिससे जरूरतमंद सभी लोगों को जल की सुविधा उपलब्ध हो सके।

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