बिहार के राजगीर जू सफारी में जल्द ही देश का चौथा शेर प्रजनन केंद्र बनने जा रहा है। वन विभाग ने शेरों की तेजी से बढ़ती संख्या और शावकों की 100% सर्वाइवल दर को देखते हुए इसकी तैयारी शुरू कर दी है। राजगीर का प्राकृतिक वातावरण शेरों के प्रजनन और संरक्षण के लिए आदर्श साबित हुआ है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर इसकी खास पहचान बना दिया है। यह कदम बिहार के साथ ही देश के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा।
वर्तमान समय में राजगीर जू सफारी में 11 शेर हैं, जो पिछले तीन वर्षों में 5 से बढ़कर दोगुने से भी अधिक हो गए हैं। साल 2024-25 में सात शावकों का जन्म हुआ था, अगस्त में दो, नवंबर में तीन और जनवरी में दो। सभी शावक स्वस्थ हैं, जो इस बात का सबूत है कि राजगीर का पर्यावरण शेरों के लिए अनुकूल है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. सुनील कुमार के मुताबिक 20.54 हेक्टेयर में बनने वाला यह प्रजनन केंद्र शेरों के जीवन चक्र को और बेहतर बनाएगा। यह केंद्र शेर सफारी क्षेत्र का हिस्सा होगा, जिसे विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए तैयार किया जा रहा है।
वैसे बता दें कि राजगीर जू सफारी केवल शेरों तक ही सीमित नहीं है। यह 191 हेक्टेयर में फैला एक अनूठा स्थल है, जहां बाघ, तेंदुआ, भालू और हिरण जैसे वन्यजीवों के लिए अलग-अलग जोन बनाए गए हैं। बाघ सफारी के लिए 20.50 हेक्टेयर, तेंदुआ सफारी के लिए 20.63 हेक्टेयर, भालू सफारी के लिए 20.60 हेक्टेयर और हिरण, चीतल, सांभर जैसे शाकाहारी प्राणियों के लिए 45.62 हेक्टेयर का क्षेत्र है। इसके अलावा, 10.74 हेक्टेयर में एवियरी जोन और 0.38 हेक्टेयर में बटरफ्लाई पार्क पर्यटकों को प्रकृति के और करीब लाता है।
शेर प्रजनन केंद्र की स्थापना से राजगीर जू सफारी का महत्व और बढ़ेगा। यह न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में भी बिहार को नई पहचान दिलाएगा। वन विभाग की यह पहल स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण के लिए एक मॉडल बन सकती है। भविष्य में यह केंद्र न केवल शेरों की संख्या बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि शोध और शिक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल बनेगा। राजगीर जू सफारी की यह उपलब्धि बिहार के लिए वाकई में गर्व का विषय है।
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