किशनगंज: बिहार के सीमावर्ती किशनगंज जिला मुख्यालय से सटे सदर प्रखंड के चकला पंचायत में वार्ड नंबर 4 टिक्रमपुर आदिवासी टोला आज भी सरकारी योजनाओं के समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचने के दावे को मुंह चिढ़ाता है । करीब पंद्रह आदिवासी परिवारों का छोटा- सा यह गांव है । सभी भूमिहीन हैं, सरकार की दी हुयी जमीं पर झोपडी बनाकर रहते हैं और सरकारी योजनाओं से जुडी इनकी सच्चाई यह है कि इस गरीब आदिवासी समाज में दो-तीन परिवारों को छोड़कर किसी भी परिवार का आज तक राशनकार्ड कार्ड नहीं बना है।
इस कारण इन आदिवासी परिवारों को सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलता है। जबकि इन परिवारों का वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड और जन-धन योजना में जीरो बेलेंस बैंक खाता भी है। इस टिक्रमपुर गांव के आदिवासी परिवार बिहार सरकार की जमीन में झुग्गी- झोपड़ी बनाकर रहते हैं। इन गरीब आदिवासी परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी मजदूरी के भरोसे चलती है लेकिन मजदूरी तो उन्हें रोज नसीब नहीं हो सकती है और इसलिए इनकी समस्याएं बरकरार हैं। यहां के भूमिहीन आदिवासी परिवार जानकारी के आभाव में राशनकार्ड तक नहीं बना सके हैं।
इस बाबत मौके पर आदिवासी ग्रामीण परिवार के मुखिया विजय हेंब्रम, महेंद्र मारिया, समारोह मारिया, रेलवे बस्की, विजय हेंब्रम, सोनामुनी टुडू, राम सोरेन, आशा देवी, मेरी मुर्मू, जैस्मिन टुडू, मिरू चौड़े, बिलासी देवी, ललिता देवी, गोपाल मारिया सहित आदि लोगों ने बताया कि मजदूरी छोड़कर बार -बार दफ्तर का चक्कर लगाना संभव नहीं है। राशनकार्ड के लिए ब्लॉक में आवेदन दिया गया था लेकिन राशनकार्ड नहीं बना। खेती बारी के लिए जमीन तो नहीं है पेट के लिए मजदूरी तो करना ही पड़ेगा।
वही ग्रामीणों ने कहा कि हम बेहद गरीब परिवार से हैं हमलोगों को अनाज व पैसे के अभाव में कभी भूखे पेट भी रात गुजारनी पड़ती है। आखिर इस महंगाई में और कर ही क्या सकते हैं। हमारे पंचायत में जिन परिवारों का राशन कार्ड है,जो संपन्न परिवार के श्रेणी में आते हैं,जिन्हें पक्के मकान, चार पहिया वाहन सहित अन्य सुविधा उपलब्ध है उन्हें भी खाद्य अधिनियम का लाभ मिल रहा है और जिन्हें सस्ते दर के अनाज की आवश्यकता है उन्हें उस सुविधा से वंचित रखा गया है और जिन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है उन्हें सस्ते दर पर बिना रोक-टोक के खाद्यान मिल रहा है। ग्रामीणों ने पंचायत सरकार से राशन कार्ड बनाने की मांग की है।
मामले में चकला पंचायत के मुखिया तनवीर आलम ने कहा कि इस मामले में उन आदिवासी परिवार के तरफ से कभी कोई मेरे पास राशनकार्ड बनवाने के लिए नहीं आया है ।अगर मुझे जानकारी मिलती तो क्यों नहीं राशनकार्ड बनवा दिया गया होता है । उन्होंने कहा जब कोई जरूरत मंद हो , तो हम जानेंगे कि उसे क्या चाहिए।