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स्कूल खोलने को लेकर शिक्षा सचिव ने विभाग के अधिकारियो के साथ उच्चस्तरीय बैठक की. बैठक में स्कूल खोले जाने को लेकर अधिकारियों के साथ शिक्षा सचिव ने विस्तार से विमर्श किया. प्रत्येक बिन्दु पर सिल-सिलेवार ढंग से चर्चा की गयी. अगर स्कूल खोला जाता है तो उसका नॉर्म्स क्या होगा. कैसे बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं. क्लास रूम में उनकी सुरक्षा के क्या तरीके हो सकते हैं. तमाम ऐसे सवाल पर बैठक में विस्तार से मंथन किया गया.

शिक्षा विभाग की ओर से मंगलवर को जारी बयान के मुताबिक एक बच्चा सप्ताह में दो दिन ही स्कूल जाएगा. वहीं एक दिन में स्कूल के आधे ही शिक्षक स्कूल आएंगे. अभिभावक अपने बच्चों को यदि स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं तो उन पर स्कूल की ओर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा. शिक्षा विभाग जल्द ही विस्तृत गाइडलाइन जारी करेगा.

वहीं कोरोना काल में अभिभावक मार्गदर्शन क्लास के लिए भी बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. राजधानी पटना के स्कूलों के 80 से 85 फीसदी अभिभावकों ने बच्चों को भेजने से इनकार कर दिया है. अभिभावक फिलहाल ऑनलाइन क्लास से ही बच्चे की पढ़ाई चाहते हैं.

मार्गदर्शन के लिए 21 सितंबर से स्कूलों को खोलने की छूट दी गई है. स्कूलों ने इसकी तैयारी की है। राजधानी के स्कूलों ने अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने की राय मांगी थी. इसमें 85 फीसदी अभिभावक से साफ मना कर दिया है. सेंट जेवियर्स हाई स्कूल की बात करें तो 9वीं और 10वीं के कुल 297 बच्चों के अभिभावकों से फीडबैक लिया गया. इसमें दो सौ बच्चों के अभिभावकों ने भेजने से मना कर दिया.

शिक्षा विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी स्कूलों में सेनेटाइजेशन की व्यवस्था होना चाहिए. गेट पर बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग होनी चाहिए. साथ ही बच्चों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का खासा ध्यान रखाना होगा. इसके साथ ही बच्चे अपने घरों से बोतल में पानी लाएंगे. उनके बीच किसी प्रकार का अदान प्रदान ना हो इसका भी स्कूल प्रबंधन को ध्यान रखना होगा.

बता दें कि मार्च महीने से कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में बिहार समेत पूरे देश की सरकारी और निजी स्कूल बंद है. जिससे पठन पाठन पर खासा असर देखने को मिला है. हालांकि स्कूलों की ओर से ऑनलाइन क्लासेज दी जा रही है. लेकिन ऑनलाइन क्लासेज अटेंड करने वाले छात्रों का प्रतिशत काफी कम है.

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