बिहार सरकार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने हत्याकांड में दोषी पाए गए आरजेडी के पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की उम्रकैद की सजा का बरकरार रखा है और सजा को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।
बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के बाद, इस मामले में बिहार के बाहुबली सूरजभान सिंह और मुन्ना शुक्ला समेत 8 आरोपियों को 2009 में निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन 2014 में पटना हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इसके बाद, बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी और केंद्रीय सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और 2014 के पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
बृजबिहारी प्रसाद की हत्या 28 जून 1998 को पटना में दिनदहाड़े उस समय की गई थी, जब वे पटना के आईजीआईएमएस में इलाज के लिए पहुंचे थे। उसी दौरान हथियारबंद हमलावरों ने उन्हें घेरकर गोली मार दी थी। यह हत्याकांड बिहार की राजनीति और अपराध की सांठगांठ का प्रतीक बन गया था। इस मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी समेत कई लोगों को दोषी ठहराया गया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को कानूनी प्रक्रिया की जीत के रूप में देखा जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह के संगीन अपराधों में किसी भी प्रकार की राहत देने की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। इस निर्णय के बाद एक बार फिर यह संदेश गया है कि राजनीति में अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और कानून से कोई ऊपर नहीं है।
नेता की हत्या के बाद इस मामले में बिहार के बाहुबली सूरजभान सिंह और मुन्ना शुक्ला समेत 8 आरोपियों को साल 2009 में निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन इसी के बाद साल 2014 में पटना हाईकोर्ट ने सभी को बरी करने का बड़ा फैसला सुनाया था। बृज बिहार प्रसाद की पत्नी रमा देवी और केंद्रीय सीबीआई ने आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाए जाने के बाद सबूत इकट्ठे किए और आरोपियों को बरी करने के सुप्रीम कोर्ट के 2014 के आदेश को चुनौती दी थी।
इसी के बाद 4 अक्टूबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इस हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा था। इसी को लेकर अब पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका पर फिर से विचार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, इस हत्या मामले में सूरजभान सिंह और राजन तिवारी सहित अन्य को अदालत ने बरी कर दिया था।
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