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भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी की राजनीति राष्‍ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के विरोध की ही रही है। लालू यादव पर भ्रष्‍टाचार को लेकर सुमो के खुलासों के कारण न केवल महागठबंधन की सरकार गिरी, बल्कि लालू परिवार को अदलतों के चक्‍कर काटने पड़ रहे हैं। मोदी ने’लालू लीला’ नामक किताब भी लिख डाली है। इन सब बातों से सुमो आपको और हमें लालू यादव के विरोधी दिखेंगे लेकिन एक मामला ऐसा है जिसमें वे अब लालू यादव का अनुसरण करते दिख रहे हैं और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पीछे छोड़ने जा रहे हैं।

दरअसल, बीजेपी ने सुशील मोदी को राज्‍यसभा चुनाव में अपनी ओर से उम्म्ीदवार बनाया है। ऐसे में अगर सुमो इस चुनाव को जीत जाते हैं तो लालू प्रसाद यादव एवं और नागमणि की ही तरह ही कारनामा करनेवाले बिहार के तीसरे नेता बन जाएंगे। सुमो से पहले लालू और नागमणि राज्‍यसभा और लोकसभा साथ ही बिहार विधान परिषद व बिहार विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। वहीं अगर सुशील मोदी यह चुनाव जीतते हैं तो वे भी इस लिस्ट में शामिल हो जाएंगे और साथ ही अपने साथी नीतीश कुमार को राजनीतिक करियर में पीछे छोड़ते दिखाई देंगे।

बिहार की राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पिछली सरकार में सुशील कुमार मोदी उपमुख्‍यमंत्री थे। वे बिहार में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ लंबे समय तक उपमुख्‍यमंत्री रहे। लेकिन नई सरकार में बीजेपी ने उनकी जिम्‍मेदारी बदल दी है। अब वे बिहार विधान परिषद की आचार समिति के अध्यक्ष हैं। फिलहाल वे विधान परिषद के सदस्य हैं। सुशील मोदी लोकसभा व बिहार विधानसभा के सदस्‍य भी रह चुके हैं। वे 1990 में पहली बार पटना सेंट्रल (अब कुम्‍हरार) सीट से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। आगे साल 2004 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर से निर्वाचित होकर वे सांसद बने थे।

हालांकि, 2005 में जब उन्‍हें बिहार बीजेपी विधान मंडल दल का नेता चुन लिया गया, उन्‍होंने लोकसभा से इस्‍तीफा दे दिया। इसके बाद वे बिहार विधान परिषद् के लिए निर्वाचित हुए। वे दूसरी बार 2012 में विधान पार्षद निर्वाचित हुए। अब बीजेपी ने उन्‍हें राज्‍यसभा भेजने का फैसला किया है। तो जाहिर सी बात हैं कि केन्द्र की सरकार में उन्हें कोई मंत्रालय भी ​मिल जाए। सुशील मोदी राज्‍यसभा का चुनाव जीत जाते हैं तो वे राज्‍यसभा व लोकसभा तथा बिहार विधान परिषद व बिहार विधानसभा के सदस्‍य रहने का नया रिकार्ड बनाएंगे।

इसके पहले यह रिकार्ड बनाने वालों में उनके बड़े राजनीतिक विरोधी व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं। लालू प्रसाद यादव 1977 व 1999 में लोकसभा के सदस्‍य रहे। वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वे 2002 में राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। लालू 1980 से विधायक तथा 1990 में विधान पार्षद रहे। बिहार की बात करें तो पूर्व मंत्री नागमणि भी चारों सदनों के सदस्‍य रहे हैं। वे 1977 में विधायक, 2006 में विधान पार्षद, 1995 में राज्यसभा सांसद तथा 1999 में लोकसभा सांसद निर्वाचित हो चुके हैं।

देश के चारों सदन में जा कर सुशील मोदी इस मामले में न केवल लालू प्रसाद यादव की राह पर चलते दिखेंगे, बल्कि अपने करीबी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को पीछे भी छोड़ देंगे। नीतीश कुमार लोकसभा के सदस्‍य व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वे बिहार विधान परिषद व बिहार विधानसभा के सदस्‍य रहे हैं। फिलहाल वे बिहार विधान परिषद के सदस्‍य हैं। हालरांकि, वे कभी राज्‍यसभा में नहीं रहे हैं।

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