भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और पावर स्टार पवन सिंह इन दिनों सिर्फ़ अपनी फिल्मों से ही नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक एंट्री को लेकर भी सुर्खियों में हैं। हाल ही में उनके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की ख़बर ने सियासी हलचल मचा दी। इस पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
तेज प्रताप का कटाक्ष
तेज प्रताप यादव ने पवन सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि वे लगातार किसी न किसी के “पैर पर गिरते रहते हैं” और जनता को अब यह समझना होगा कि आगे वे क्या करेंगे। उन्होंने साफ़ कहा कि पवन सिंह को अपनी कला और लोकप्रियता पर ध्यान देना चाहिए, न कि राजनीति में उलझना चाहिए।
तेज प्रताप ने कहा:
“पवन सिंह जो हैं, कभी लखनऊ में हमारे पैर पर गिरे हुए थे और अब फिर से किसी और के पैर पर गिरने के लिए चले गए हैं। उन्हें समझना चाहिए कि बुद्धि औरविवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। उनका काम कलाकारी करना है, राजनीति में उतरना नहीं।”
पवन सिंह की पॉपुलैरिटी और राजनीति
भोजपुरी सिनेमा में पवन सिंह का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनके गाने और फिल्में दर्शकों में बेहद लोकप्रिय हैं। ऐसे में राजनीति में उनका कदम स्वाभाविक रूप से चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि, तेज प्रताप यादव जैसे विरोधियों का मानना है कि कलाकारों को अपनी कला तक ही सीमित रहना चाहिए और राजनीति जैसी गंभीर जिम्मेदारियों से दूर रहना चाहिए।
राजनीति में कलाकारों की एंट्री का विवाद
यह पहली बार नहीं है जब किसी बड़े कलाकार के राजनीति में उतरने पर सवाल उठे हों। भारतीय राजनीति में पहले भी फिल्म जगत की कई हस्तियां सक्रिय रही हैं—किसी ने सफलता पाई तो किसी को राजनीति रास नहीं आई। पवन सिंह के मामले में भी यही सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी लोकप्रियता राजनीति में वोटों में तब्दील हो पाएगी या नहीं।
तेज प्रताप यादव का यह बयान साफ़ दिखाता है कि बिहार की सियासत में पवन सिंह का प्रवेश केवल भाजपा के लिए ही नहीं बल्कि राजद और अन्य दलों के लिए भी चर्चा का मुद्दा बन गया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि भोजपुरी के पावर स्टार का यह नया राजनीतिक सफर उन्हें नई ऊँचाइयों तक ले जाता है या तेज प्रताप के बयान की तरह वाकई यह “गलत कदम” साबित होता है।