Umesh Kushwaha
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पटनाः जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा राजनीतिक रुप से काफी बेबस नजर आये हैं। उनकों अपने ही फैसले को 24 घंटे के अंदर ही वापस लेना पड़ा। दरअसल जिस नेता को पार्टी से पत्ता काटा था, उसी नेता को फिर से उसी नेता को बिठाना पड़ा। लेकिन सवाल है कि उमेश कुशवाहा को अपना फैसला वापस लेने पर मजबूर कैसे होना पड़ा ? जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने 12 सितंबर को विभिन्न प्रकोष्ठों में नए अध्यक्ष और प्रभारी की नियुक्ति की थी। जिसमें मनीष कुमार को युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि वशिष्ठ सिंह को प्रभारी बनाया गया था।

वहीं युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे नीतीश पटेल को हटाकर मीडिया प्रकोष्ठ का प्रभारी बनाया था। प्रकोष्ठ अध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद से खेल शुरू हुआ। नीतीश पटेल जिन्हें करीब साल भर पहले ही युवा जदयू का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, उन्हें हटाने के निर्णय को लेकर दल के अंदर ही गहमागहमी शुरू हो गई। जानकार बताते हैं कि यह मामला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंच गया। बताया जाता है कि युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गए नीतीश पटेल ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार से मिलकर अपनी बात रखी।

इसके बाद बाजी पलट गई। अगले दिन (13 सितंबर) उमेश कुशवाहा को अपना आदेश पलटना पड़ा। इस तरह से प्रदेश अध्यक्ष ने 24 घंटा पहले जिस नीतीश पटेल को जेडीयू युवा प्रकोष्ठ से हटाकर मीडिया प्रकोष्ठ का प्रभारी बनाया था, उन्हें फिर से अध्यक्ष की जिम्मेदारी देनी पड़ी। इस तरह से मनीष कुमार महज 24 घंटे के लिए युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे। पार्टी के जानकार बताते हैं कि नीतीश पटेल के परिवार से मुख्यमंत्री का पुराना संबंध रहा है।

बता दें कि नीतीश पटेल के पिताजी शुरूआती दौर से ही नीतीश कुमार के साथ हैं। नीतीश कुमार जब बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे, तभी से वे साथ रहे हैं। जेडीयू युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष का विवाद जब राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के पास पहुंचा, तब उन्होंने इस संबंध में पूरी जानकारी ली। इसके बाद नीतीश पटेल को फिर से प्रकोष्ठ अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने का आदेश दिया। नेता का आदेश मिलते ही प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने 13 सितंबर को नीतीश पटेल को वापस करने का चिट्ठी जारी कर दिया।

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