स्वतंत्रता सेनानी भूल्लर ठाकुर की प्रतिमा का अनावरण – वैशाली (मानपुरा) की धरती पर गूँजा आज़ादी का इतिहास

आपकी आवाज़, आपके मुद्दे

4 Min Read
Highlights
  • • वैशाली जिले के मानपुरा गांव में स्वतंत्रता सेनानी भूल्लर ठाकुर की प्रतिमा का अनावरण हुआ। • कार्यक्रम में विधायक सिद्धार्थ पटेल, गांधीवादी चिंतक लक्षणदेव प्रसाद सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्र मौजूद रहे। • भूल्लर ठाकुर ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेजों के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई। • अंग्रेजों ने उनका घर जला दिया और घोड़े से बाँधकर घसीटा, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। • भारत सरकार ने उन्हें ताम्रपत्र से सम्मानित किया था। • समारोह में कई गणमान्य व्यक्ति और ग्रामीणों ने भाग लेकर श्रद्धांजलि दी। • मानपुरा गांव की धरती ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पटना, 2 अक्टूबर 2025।

महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर वैशाली जिले के मानपुरा गांव ने एक ऐतिहासिक पल को संजोया। राजकीय मध्य विद्यालय मानपुरा पूर्वी परिसर में स्वतंत्रता सेनानी स्मृतिशेष युगेश्वर ठाकुर उर्फ भूल्लर ठाकुर की प्रतिमा का अनावरण और “भुल्लर ठाकुर स्मृति वर्ग भवन” का उद्घाटन बड़े धूमधाम से किया गया।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ स्थानीय विधायक सिद्धार्थ पटेल, गांधीवादी चिंतक लक्षणदेव प्रसाद सिंह और अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्र ने संयुक्त रूप से किया।

स्वतंत्रता संग्राम के सच्चे वीर – भूल्लर ठाकुर

भूल्लर ठाकुर का नाम बिहार की आज़ादी की गाथा में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत का खुलकर विरोध किया।

• अंग्रेजों ने उन्हें क्रूरतम यातनाएँ दीं।

• उनका घर जला दिया गया।

• रस्सी से बाँधकर घोड़े से घसीटा गया।

लेकिन इन सबके बावजूद वे मातृभूमि की आज़ादी के लिए संघर्ष करते रहे।

भारत सरकार ने उनके योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें ताम्रपत्र से सम्मानित किया था।

एक ऐतिहासिक संस्मरण

कार्यक्रम के दौरान गांधीवादी चिंतक और जेपी सेनानी लक्षणदेव प्रसाद सिंह ने भूल्लर ठाकुर से जुड़ा एक प्रेरक संस्मरण साझा किया।

उन्होंने बताया कि जब अंग्रेजों का दमन चरम पर था, तब लालगंज प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होना था। उस समय कोई भी इस जिम्मेदारी को उठाने को तैयार नहीं था। कांग्रेस नेता दीप बाबू उर्फ दीपनारायण सिंह ने बैठक में कार्यकर्ताओं से अध्यक्ष बनने का आग्रह किया, लेकिन भय के कारण किसी ने हाथ नहीं उठाया।

निराश दीप बाबू जब बैठक छोड़ने लगे तो अचानक एक आवाज आई –

“हो दीप बाबू लौटू, हम तैयार हती।”

यह आवाज मानपुरा के किसान-सपूत भूल्लर ठाकुर की थी।

सिर्फ साक्षर होने के बावजूद उन्होंने यह जिम्मेदारी उठाई। अंग्रेजों ने उन्हें धमकाया, अल्टीमेटम दिया, लेकिन वे अडिग रहे। नतीजा यह हुआ कि उनका घर जला दिया गया और उन्हें घोड़े से घसीटकर थाने लाया गया। इसके बावजूद वे जेल से भी “अंग्रेजो भारत छोड़ो” का नारा बुलंद करते रहे।

विधायक सिद्धार्थ पटेल का संबोधन

वैशाली विधायक सिद्धार्थ पटेल ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल परिवारों का बलिदान अमूल्य है। भूल्लर ठाकुर और गुलजार पटेल जैसे योद्धाओं ने जिस साहस से अंग्रेजों का मुकाबला किया, वही हमारी आज़ादी की नींव है।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का सबसे बड़ा योगदान था – भय को खत्म करना।

जब साधारण लोग भयमुक्त हुए, तब उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ साहसिक कदम उठाए। भूल्लर ठाकुर ऐसे ही साधारण किसान थे जिन्होंने असाधारण साहस दिखाया।

श्रद्धांजलि और कार्यक्रम की गरिमा

इस अवसर पर कई गणमान्य हस्तियों ने शिरकत की, जिनमें शामिल थे –

डॉ. अरुण कुमार सिंह (पूर्व अध्यक्ष, राजनीति शास्त्र विभाग, आरडीएस कॉलेज)

प्रो. के.के. सिन्हा (वयोवृद्ध प्राध्यापक)

अरविंद वरुण (सचिव, गांधी शांति प्रतिष्ठान, मुजफ्फरपुर)

• भूल्लर ठाकुर के प्रपौत्र अंकित कुमार व अमित कुमार

• क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण।

कार्यक्रम के अंत में सभी ने भूल्लर ठाकुर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके बलिदान को याद किया।

मानपुरा की गौरवगाथा

मानपुरा गांव ने एक बार फिर यह साबित किया कि उसकी मिट्टी वीरों को जन्म देती है। भूल्लर ठाकुर की प्रतिमा का अनावरण केवल एक मूर्ति का उद्घाटन नहीं था, बल्कि यह आजादी की लड़ाई की उस विरासत को जीवित करने का प्रयास था, जिसने हमें स्वतंत्र भारत दिया।

भूल्लर ठाकुर की कहानी हमें यह संदेश देती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर इरादे दृढ़ हों तो कोई ताकत हमें झुका नहीं सकती।

Share This Article