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लाइव बिहार: बिहार विधानसभा चुनावों के वक्त एक नाम काफी चर्चा में रहा और वो नाम था मिस्ट्री गर्ल पुष्पम प्रिया चौधरी का। बिहार चुनावों के दौरान जिन्होंने सभी नेताओं को फेक लीडर बता दिया और मौजूदा वक्त में हो रही राजनीति को राजनीति मानने से इंकार कर दिया। जो कहती थीं कि बिहार को बदलने आई हैं। लेकिन चुनाव में फजीहत होने के बाद वो कहीं दिखाई नहीं दे रही। कई लोग पुष्पम के बारे में जानने को इच्छूक हैं लेकिन जानकारी मिल नहीं रही है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि पुष्पम प्रिया चुनाव खत्म होने के बाद कहां हैं? क्या कर रही हैं और आगे का उनका प्लान क्या है?

तो सबसे पहले आपको पुष्पम प्रिया की लेटेस्ट अपडेट की जानकारी दे देते हैं। पुष्पम प्रिया को हाल ही में पटना में देखा गया था। पटना के गांधी मैदान के बाहर पुष्पम को फुथपाथ पर रहनेवाले लोगों के बीच कंबल बांटते हुए देखा गया था। इस बारे में पुष्पम ने जानकारी अपने फेसबुक फेज पर भी जानकारी दी है। इस बारे में तस्वीरें डालते हुए पुष्पम ने लिखा है ‘ इस ठंड में Plurals आपके साथ है। I’ll be there for you. #सबकाशासन

इससे पहले पुष्पम ने अपने आॅफिस की एक तस्वीर डाली थी और बताया था की वो वापस अपने रूटीन पर लौट गई हैं। अब यहां रूटीन पर लौटने का मतलब यह नहीं है कि पुष्पम प्रिया पॉलिटिक्स से बाहर हो गई हैं, जी नहीं बिल्कुल नहीं, पुष्पम प्रिया का रूटीन का मतलब है वो राजनीति वाले काम में ही हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्यों कि बिहार चुनाव में हार के बाद ही पुष्पम प्रिया ने एक लेटर पोस्ट किया था। इस लेटर को लेकर उनकी आलोचना हुई थी क्यों कि इसमें उनका लहजा कुछ ऐसा था जिससे साफ दिख रहा था कि वे बिहार के वोटर्स से नाराज हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा था कि वो बिहार छोड़ कर कहीं नहीं जा रहीं बल्कि यहीं रहेंगी। साथ ही उन्होंने बिहार के पंचायती चुनावों में भी अपनी पार्टी प्लूरल्स के उतरने के संकेत दिए थे।

विधानसभा चुनाव के बाद से ही पुष्पम नीतीश सरकार पर हमलावर भी दिख रही हैं उनके पोस्ट में उनके तेवर साफ दिखते हैं। जब लालू यादव का आॅडियो वायरल हुआ तो पुष्पम ने नीतीश और लालू को बड़ा और छोटा भाई बता दिया और लिखा ‘ एक जेल से फ़ोन करके विधायकों को ख़रीदते हैं, दूसरे सदन में अनधिकार बैठकर विधायकों को डराते हैं! दोनों अवैध, दोनों अनैतिक! बिहार के अंजाम-ए-गुलिस्ताँ को बिगाड़ने के लिए बस ये दो ही काफ़ी हैं – बड़े भाई, छोटे भाई! #30YearsLockdown

वहीं बिहार समेंत देश में कोरोना महामारी के प्रबंधन पर भी पुष्पम ने तंज कसते हुए लिखा था भारत में कोरोना अब एक ‘सरकारी महामारी’ है। सरकारी नियमों की तरह इसकी सुविधानुसार व्याख्या है। श्रमिक पलायन, किसान प्रदर्शन, जनअसंतोष और लोक पर्व-त्योहारों में कोरोना एक भयंकर महामारी है – मास्क लगाना ज़रूरी है, न लगाने पर डंडे और दंड का प्रावधान है, लॉकडाउन, सामाजिक दूरी अनिवार्य है। और जब चुनाव और रैलियों की ज़रूरत होती है तो कोरोना की हार और सरकार की जीत हो जाती है, भारत फिर विश्व-गुरू बन जाता है।

पुष्पम ने 28 नवंबर को ही प्लूरल्स के भविष्य के प्लान के बारे में एक पोस्ट लिख कर अपनी लंबी राजनीतिक पारी के बारे में बिहार की जनता को बता दिया था। उन्होंने लिखा — Plurals ने लंबा रास्ता चुना है लेकिन सही रास्ता चुना है। हमारी पार्टी किसी भी जाति या धर्म या विचारधारा विशेष की या उसके द्वेष पर आधारित पार्टी नहीं है। यह सबकी पार्टी है। जब पार्टी से जुड़े लोग मुझे कहते हैं कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन हम भी राजनीति में होंगे या अच्छे लोग भी राजनीति कर सकते हैं, तब मुझे अपनी पार्टी पर गर्व होता है। अब बस ऐसी ही राजनीति की नींव गहरी करनी है और ऐसी ही अच्छी सोच का विस्तार करना है, और इसके लिए प्लुरल्स से बेहतर कोई प्लेटफ़ॉर्म नहीं क्योंकि यह सबके लिए है। #सबकाशासन

यानि बात साफ हैं कि प्लूरल्स और पुष्पम प्रिया अब बिहार की राजनीति में जमीन स्तर से जुड़ कर लंबी पारी खेलने की तैयारी में हैं। पुष्पम ने विधानसभा को एक ट्रायल के रुप में लिया और इससे जो कुछ सीखा है शायद उसका परिणाम वो बिहार के पंचायती चुनावों में दिखाएं।

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