असम का युवा सुपरस्टार और उसकी विरासत
असम के गुवाहाटी से कुछ ही दूरी पर स्थित ज़ुबिन गर्ग का पैतृक गांव, इस 21 वर्षीय युवा गायक और सुपरस्टार के लिए गहरी श्रद्धांजलि में बदल गया। उनके दाह संस्कार के दौरान आसमान 21 राइफल की सलामी से गूंज उठा। ज़ुबिन ने किशोरावस्था में ही असमिया संगीत जगत में अपनी पहचान बनाई और भूपेन हज़ारिका जैसी महान हस्तियों के नक्शेकदम पर चलते हुए संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया।
संगीत और समाज में ज़ुबिन का जादू
ज़ुबिन की आवाज़ ने न केवल असमिया बल्कि पूरे भारत के संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया। उनके 35,000 गानों में लगभग 40 भाषाओं का समावेश था। बॉलीवुड में उनकी प्रसिद्धि का गहना ‘गैंगस्टर’ फिल्म का गाना ‘या अली’ रहा।
वे अपने गीतों के माध्यम से समाज, राजनीति और बच्चों के प्रति उदारता और पर्यावरण प्रेम जैसे संदेश फैलाते थे। असम में उनके प्रति श्रद्धा इतनी गहरी थी कि लाखों लोग उनके गीत गाते, रोते और आंसू थामते नजर आए।
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राजनीति और सांस्कृतिक चेतना में उनका योगदान
ज़ुबिन गर्ग केवल गायक नहीं थे। उन्होंने नागरिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए खुलकर आवाज़ उठाई। सीएए विरोध, सामाजिक मुद्दों पर बेबाक टिप्पणी और मंच पर राजनेताओं का व्यंग्य — ये सभी उनके व्यक्तित्व का हिस्सा थे।
इंस्टाग्राम पर उनके 1.28 मिलियन फॉलोअर्स थे, और उनका प्रभाव किसी राजनेता से कम नहीं था। उनकी लोकप्रियता युवाओं और आम जनता के बीच अविश्वसनीय थी।
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मौत की संदिग्ध परिस्थितियाँ और असम में गुस्सा
ज़ुबिन की मृत्यु सिंगापुर यात्रा के दौरान हुई। पुलिस जांच जारी है। असम में भी मुख्य आयोजक श्यामकानु महंत और उससे जुड़े संगठन पर उत्सव आयोजन पर रोक लगाई गई है।
उनकी मौत के बाद असम में तीन दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया गया। ज़ुबिन के लिए न्याय की मांग कर रहे हज़ारों लोग अब प्रशासन और सरकार के सामने अधीर और नाराज़ हैं।

दाह संस्कार और भावनात्मक दृश्य
दाह संस्कार के दौरान ज़ुबिन की पत्नी गरिमा फूट-फूट कर रोईं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी भावुक हुए। यह घटना दर्शाती है कि ज़ुबिन केवल कलाकार नहीं थे, बल्कि असमिया संस्कृति और लोगों के दिल का प्रतीक थे।
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निष्कर्ष — ज़ुबिन गर्ग की अमर विरासत
ज़ुबिन गर्ग का योगदान केवल संगीत तक सीमित नहीं रहा। उनके गीत, उनके बोल और उनके विचार, समाज में एकता, न्याय और सांस्कृतिक चेतना के संदेश का प्रतीक बन गए। उनके संगीत ने असम को विभाजन और कलह के बावजूद एकजुट रखा।
अब सवाल यह है कि असम की सरकार और प्रशासन उनके लिए न्याय की मांग को कैसे पूरा करेंगे। ज़ुबिन की याद, उनके गीत और उनके विचार हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे।
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