Desk: हिंद पॉकेट बुक्स से छपी स्त्री विमर्श की सशक्त लेखिका भूमिका द्विवेदी की कहानी संग्रह “ख़ाली तमंचा” इसी वर्ष आयी है। इस कहानी संग्रह में ग्यारह कहानियाँ हैं, प्रत्येक कहानी अपने आप में परिपूर्ण और समाज की ज़मीनी हक़ीक़त बयां कर रही है।
साहित्य समाज का दर्पण होता है ये वाक्य भूमिका जी की रचनाओं में और भी स्पष्ट हो जाता है।स्त्री को समाज में किस नज़रिये से देखा-समझा तथा व्यवहार किया जाता है,उसे भूमिका जी ने हम सब पाठकों के बीच इस कहानी संग्रह के माध्यम से पहुँचाने का प्रयास किया है।आज के दौर में जहाँ नारी सशक्तिकरण का ज़ोर-शोर से प्रवंचना हो रहा है,जबकि इन नारों की सच्चाई क्या है?आप सब वाक़िफ़ ही होंगे!ऐसे दौर में ख़ाली तमंचा जैसे रचनाओं की महत्व और उपदेयता बढ़ जाती है।
ख़ाली तमंचा कहानी संग्रह में ग्यारह कहानियाँ है, जिनके नाम और उनके बारे में दो-चार वाक्य निम्न हैं।
१.राज़दारी:- एक वृद्ध हारुन अली शाह और नवयौवना मज़हबीं की कहानी है।हारुन मियाँ की अधेड़ उम्र में व्याहता जवान बीवी के साथ अपनी पितृसत्ता के रौब को जमाने की चेष्टा में अपनी अधेड़ उम्र का ख़्याल भूल ही जाता है।एक दिन हारुन की नयी बीवी की मुलाक़ात उसके सौतेले बेटे से होती है,वह भेंट प्रगाढ़ प्रेम में तब्दील हो एक राज़ छुपाने को विवश बना देती है।
यह कहानी उन लाखों कम उम्र के बच्चियों की शादी अधेड़ उम्र वालों से जबरन होने की कहानी है,हठी पिता की कहानी,पितृसत्ता के अहंकार की कहानी है।
२.दस रुपये का तेजपत्ता:- इस कहानी को पढ़कर चंटों-ठगों के स्वभाव से आप परिचित हो जाएँगे।आप पुरूषगत मौक़ापरस्तगी और ऊपर से दम्भी स्वभाव से भी परिचित होंगे।इस कहानी की महिला किरदार कियारा के सख़्त और मर्मस्पर्शी द्वंद्वात्मक स्वभाव को देख स्त्री के वास्तविक मन को आज के ज़माने में कैसा होना चाहिये,शायद कियारा उसी का प्रतिनिधित्व कर रही है।हिंदी साहित्य जगत में चमचई -चेलई करने से कुछ असम्भव सा नहीं है,जिसकी योग्यता सांत्वना पुरस्कार तक की नही है वह विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित हो रहा है।केतन के सारे छद्म अहंकार को क़ियारा कैसे गिराती है और अंतत: केतन का जीवन स्तर उसके योग्यतनुकूल ही हो जाता है।
३.जनाज़ा:- तथाकथित नारीवादियों के वास्तविक स्वरूप को प्रदर्शित करती कहानी जिसके भाव व्यंग्यात्मक हैं।बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों में काम करते लोगों की आंतरिक वातावरण को प्रस्तुत करने वाली कहानी भी कह सकते हैं।
४.ख़ाली तमंचा:-घरेलू हिंसा से संघर्ष करने वाली माँ बेटी की कहानी है। इस कहानी की नायिका मासूम सी बच्ची जब युवती होती है तो उसके अंदर प्रतिशोधात्मक भाव उत्पन्न होते हैं,और वह अपने भाई के बचपन के मित्र से एक शर्त के बाद तमंचा माँगती है।तमंचा बड़ी जद्दोजहद के बाद मिल तो जाती है परंतु बिन कारतूस,और इस सलाह के साथ कि तुम्हारी तमंचा तुम्हारी कलम है और कारतूस उसकी स्याही।यह कहानी एक सकारात्मक विचारों का सम्प्रेषण कर रही है,घटनाओं का प्रतिशोध हिंसक न हो और अपनी सफलता प्राप्त कर भी प्रतिशोध लिया जा सकता है।
५.भगवान सत्यनारायण का प्रसाद:- इस कहानी में भी पुरुष के तथाकथित महानता और छद्म प्रतिबद्धता कैसे धूल धूसरित हो सकती है उसी की कहानी है।प्रगतिशीलता का चोला पहने अय्याशी और आस्था की मज़ाक़ की कहानी है। इस कहानी को एक आस्तिक लड़की का आत्मबल कितना मज़बूत होता है,उसे दिखाने वाली कहानी कहा जाये तो अतिशयोक्ति नही होगी।
६.लेडी पिकासो:- एक मासूम के आरमानों के क़त्ल की कहानी,सपनो -संघर्षों की कहानी और स्त्रियों से स्त्रियों के अंतर्द्वंद्व की कहानी है। इसे घरेलू हिंसा का प्रकारांतर को स्पष्ट करने वाली कहानी कहा जा सकता है।
७.सातवाँ आसमान:- आज के तकनीकी युग में धैर्यविहीनता और व्यवहार शून्य हो मशीन की तरह बर्ताव करने,पुरानी पीढ़ी के लोगों में व्यवहार-सम्वेदना बची है उसकी कहानी है।
८.वेदना:-भारतीय समाज के नैतिक पतन और बाज़ारू व्यवहार,अभिजात्य बनने की कोशिश में रिश्तों और उपकारों को अनदेखा करने की कहानी है।
९.रेड लाइट वर्सेज़ रेड लाइट एरिया:- समाज में पुरुष गत चरित्र को प्रदर्शित करती कहानी,स्त्री के स्वातंत्र्य को प्रदर्शित करने वाली,पितृसत्तात्मक समाज के मिथक को तोड़ती हुयी महिला चरित्र की कहानी है।
१०.दाँव:-ये कहानी भारतीय राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में और इस प्रकार की घटनाएँ हमारे समाज में होती रही है उसे बयां करने वाली कहानी है।एक राजनेता का महिला से अवैध संबंध,शोषण और मोहग्रस्त राजनेता का महिला द्वारा पुरानी औषधीय ज़हर द्वारा मौत से मुलाक़ात करवाने की कहानी है।
११हीरामन चौधरी:-ये कहानी कार्यायलिय कुटीलता,मानवीय संवेदनहीनता और शिक्षित होने के बाद भी विरोध स्तर बिल्कुल नीचे भी हो सकता है;”अवश्यमेव भोक्तव्यं कर्तृकर्म शुभाशुभम्” को पुष्ट करने वाली भी कहानी है।/