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विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं लेकिन अभी भी राजनीतिक दलों के बीच उलट फेर जारी है. इसी क्रम में दरभंगा जिले के बहादुरपुर सीट से लोजपा और रामविलास पासवान के काफी नजदीक रहे आरके चौधरी को राजद ने अपने पाले में कर चुनावी मैदान में उतार दिया है.

इसपर आरके चौधरी ने कहा कि मैंने जिस लोजपा को जी जान से आगे बढ़ाया, लोजपा सुप्रीमो राम विलास पासवान, रामचंद्र पासवान के साथ कदम से कदम मिला कर चला, घर के हर सुख-दुख में साथ रहा. उसी लोजपा ने मुझे रामविलास पासवान की मौत के बाद बेटिकट कर बाहर का रास्ता दिखा दिया. जबकि चिराग दूसरे दलों के लोगों को बुला-बुलाकर टिकट दे रहे हैं.

उन्होंने कहा कि भोला यादव ने मेरी इस बात को समझा और मुझे तेजस्वी यादव से मिलाया, जिन्होंने मेरी कद्र समझी और मुझे बहादुरपुर से राजद का उम्मीदवार बनाने का काम किया. अब मेरे द्वारा हायाघाट में किया गया काम भोला यादव के काम आएगा और बहादुरपुर में भोला यादव का किया काम मेरे काम आएगा. बता दें कि 2015 के चुनाव में आरके चौधरी ने हायाघाट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ी थी लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

वहीं बात अगर बहादुरपुर सीट की करें तो पहले भी ये सीट राजद के कब्जे में थी और इस सीट से राजद के कद्दावर नेता और लालू यादव के करीबी भोला यादव विधायक थे. भोला यादव ने 2015 के चुनाव में राजद-जदयू गठबंधन के तहत जातीय समीकरण की वजह से जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार उन्हें जातीय समीकरण नहीं बैठने का डर था तो उन्होंने हायाघाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया.

इधर, जब एलजेपी ने परिवार के काफी करीबी माने जाने वाले आरके चौधरी को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने आरजेडी का दामन थाम लिया, और आरजेडी ने उन्हें बहादुरपुर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.

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