मधुबनी कलेक्ट्रेट की नीलामी का आदेश जारी किया गया। 17 जून को समाहरणालय के मुख्य द्वार के पास सिविल कोर्ट के नाजिर दुर्गानंद झा ने इश्तेहार चस्पा किया। इसमें कहा गया है कि 15 दिनों के अंदर राशि नहीं मिलने पर समाहरणालय की भवन सहित भूमि की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। दरअसल प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनामिका की अदालत ने चार करोड़ 17 लाख रुपये का भुगतान नहीं करने पर आदेश जारी किया है।
यह मामला मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक बनाम पंडौल को-ऑपरेटिव सूत मिल का है। बिहार सरकार और अन्य के बीच का है। मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता के अधिवक्ता हरिशंकर श्रीवास्तव के बताया कि 1996-97 में बंद हुई पंडौल को-ऑपरेटिव सूत मिल के दोबारा शुरू करने को लेकर रतन कुमार केडिया की कंपनी और मिल के पदाधिकारियों के बीच करार हुआ था।
उन्होंने बताया कि रतन कुमार केडिया की कंपनी ने पूंजी और कच्चा माल उपलब्ध कराया था. संचालन की जिम्मेदारी सरकार और मिल प्रशासन पर थी. एडवांस में राशि देने के बाद जब कंपनी ने बिल मांगा तो इनकार कर दिया गया. फिर कंपनी ने भुगतान बंद कर दिया. ऐसे में मिल फिर से बंद हो गया. 1999 में कंपनी ने कोर्ट में यथास्थिति बनाए रखने की मांग की जो खारिज होने के बाद हाईकोर्ट पहुंचा।
उधर केडिया के अधिवक्ता वरुण कुमार झा ने बताया कि पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस घनश्याम प्रसाद ने अपने आदेश में विपक्षी को एडवांस भुगतान 28 लाख 90 हजार 168 रुपये, क्षतिपूर्ति के रूप में 2 लाख रुपये, मुकदमा खर्च 70 हजार और आर्बिट्रेटर को फीस के रूप में एक लाख 80 हजार रुपये भुगतान करने का आदेश दिया था. आदेश में पारित रकम भुगतान नहीं करने पर 18 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का भी आदेश दिया गया था.
आदेश का पालन नहीं करने पर 2016 में कंपनी के डायरेक्टर ने जिला जज मधुबनी के न्यायालय में जस्टिस घनश्याम प्रसाद के आदेश का अनुपालन के लिए मामला दायर किया था। अब इसी मामले में कोर्ट ने आदेश दिया है कि 15 दिनों के अंदर 4 करोड़ 17 लाख 24 हजार 459 रुपये का भुगतान किया जाए नहीं तो मधुबनी समाहरणालय की नीलामी कर दी जाएगी।
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