Bihar Election 2025: मोकामा में जन सुराज समर्थक की हत्या पर प्रशांत किशोर का हमला — बोले, ‘फिर लौट आया जंगल राज’

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जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मोकामा में जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि बिहार में फिर लौट आया जंगल राज।
Highlights
  • • मोकामा में जन सुराज उम्मीदवार प्रियदर्शी पियूष के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या। • प्रशांत किशोर बोले – “बिहार में फिर लौट आया जंगल राज।” • PK ने प्रशासन और सरकार को ठहराया जिम्मेदार। • जन सुराज अध्यक्ष मनोज भारती ने लगाया अगवा और धमकी का आरोप। • मोकामा में बाहुबली राजनीति का गढ़ — अनंत सिंह बनाम सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी का मुकाबला। • 6 नवंबर को पहले चरण में मोकामा में होगा मतदान।

मोकामा हत्याकांड ने गरमाया बिहार चुनाव 2025 का माहौल

बिहार चुनाव 2025 के बीच मोकामा से आई एक दर्दनाक खबर ने राजनीतिक माहौल को हिला दिया है। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार प्रियदर्शी पियूष के समर्थक दुलारचंद यादव की गुरुवार को हत्या कर दी गई। यह घटना तब हुई जब मोकामा में चुनाव प्रचार चरम पर था।
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि यह घटना बिहार में लंबे समय से चली आ रही कानून-व्यवस्था की नाकामी और “जंगल राज” की वापसी का संकेत है।

Bihar Election 2025: मोकामा में जन सुराज समर्थक की हत्या पर प्रशांत किशोर का हमला — बोले, ‘फिर लौट आया जंगल राज’ 1

प्रशांत किशोर का सीधा हमला — ‘फिर दिखा जंगल राज का चेहरा’

प्रशांत किशोर ने कहा,

“वे (दुलारचंद यादव) जन सुराज के आधिकारिक सदस्य नहीं हैं, लेकिन प्रियदर्शी पियूष जी का समर्थन कर रहे थे। यह वही जंगल राज दिखाता है जिसके बारे में लोग हमेशा बात करते आए हैं। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।”

उन्होंने इस घटना को प्रशासन और कानून व्यवस्था की विफलता बताया और कहा कि किसी भी हत्या की पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होती है।
PK ने बिहार की जनता से अपील की कि वे ऐसे उम्मीदवारों को चुनें जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड न हो। उन्होंने कहा कि जन सुराज जनता को “साफ-सुथरे और निडर विकल्प” दे रहा है।

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जन सुराज का संदेश — बाहुबलियों के खिलाफ जनता को विकल्प

प्रशांत किशोर ने अपने बयान में कहा कि बिहार में बाहुबलियों की राजनीति ने लोकतंत्र को कमजोर किया है।
उन्होंने कहा,

“बाहुबली चाहे किसी भी जाति, समुदाय या विचारधारा का हो, जो गलत है वह गलत है। बाहुबली अच्छे लोगों से डरते हैं, इसलिए जन सुराज ने जनता को विकल्प दिया है।”

यह बयान सीधे तौर पर बिहार के उन इलाकों को संबोधित था जहां बाहुबल और डर की राजनीति वर्षों से जमी हुई है।
मोकामा समेत बिहार के कई अन्य क्षेत्रों में जन सुराज उम्मीदवारों के खिलाफ हिंसा, धमकी और दमन की घटनाओं की रिपोर्ट मिल रही है।

जन सुराज प्रदेश अध्यक्ष का बड़ा आरोप — “हमारे उम्मीदवारों को अगवा और धमकाया जा रहा है”

जन सुराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने भी मोकामा हत्या कांड पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित डर फैलाने की कोशिश है।
उन्होंने कहा —

“जब नामांकन का समय था, तब हमारे कई उम्मीदवारों को अगवा कर लिया गया। उन्हें नामांकन नहीं भरने दिया गया। अब जब वे मैदान में हैं, तो उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है और उनके समर्थकों की हत्या की जा रही है।”

उन्होंने कहा कि मारे गए दुलारचंद यादव भले ही आधिकारिक कार्यकर्ता नहीं थे, लेकिन वे प्रियदर्शी पियूष के करीबी थे।
भारती ने जनता से अपील की कि वे हिंसा के डर से न झुकें, क्योंकि यह सरकार अब कुछ ही सप्ताह की मेहमान है।

“यह सरकार चंद सप्ताह की है। इस सरकार के जाते ही न्याय मिलेगा।”

पुलिस का बयान — दो काफिलों की झड़प में चली गोली

पुलिस ने बताया कि गुरुवार को मोकामा में प्रचार के दौरान दो राजनीतिक समूहों के बीच झड़प हुई, जिसके बाद फायरिंग हो गई।
एसडीपीओ अभिषेक सिंह ने बताया,

“दोनों पक्षों के काफिले आमने-सामने आए और कहासुनी हो गई। उसी दौरान एक पक्ष ने गोली चला दी और कुचलने की कोशिश भी की।”

उन्होंने कहा कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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मोकामा — बाहुबली राजनीति का गढ़ और टकराव का केंद्र

मोकामा बिहार की राजनीति में बाहुबली प्रभाव का प्रतीक माना जाता है।
यहां अनंत कुमार सिंह, दिलीप सिंह और सूरजभान सिंह जैसे नाम दशकों से राजनीतिक परिदृश्य पर हावी हैं।
इस बार मोकामा विधानसभा में मुकाबला फिर से दो प्रभावशाली बाहुबली परिवारों के बीच है —
जेडीयू ने अनंत सिंह को मैदान में उतारा है, जबकि राजद ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को टिकट दिया है।

दोनों उम्मीदवार भूमिहार समुदाय से हैं, जिससे यह सीट और भी दिलचस्प बन गई है।
यह क्षेत्र हमेशा से हाई-वोल्टेज मुकाबले का केंद्र रहा है और 6 नवंबर को होने वाला मतदान एक बार फिर राजनीतिक विरासतों के टकराव का गवाह बनेगा।

बिहार चुनाव 2025 में कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा

मोकामा की यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के उस पुराने घाव को फिर से खोलती है —
जहां सत्ता, बाहुबल और भय की त्रिकोणीय राजनीति जनता की सुरक्षा पर भारी पड़ती रही है।
प्रशांत किशोर का बयान स्पष्ट संकेत है कि “जंगल राज बनाम सुशासन” की बहस एक बार फिर चुनावी विमर्श के केंद्र में लौट आई है।

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