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Desk: बिहार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 83 फीसदी पद खाली हैं। मात्र 17 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों के सहारे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मिशन के तहत रिक्त पदों में डॉक्टरों, नर्सों सहित अन्य स्तर के पद शामिल हैं। इनके नहीं होने से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सरकारी अस्पतालों में बढ़ाई जानी वाली स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। इनमें रोगों की पहचान, जांच और इलाज तीनों शामिल हैं।

राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 814 विशेषज्ञ चिकित्सकों में राज्य में मात्र 113 विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत हैं। वहीं, 915 सामान्य चिकित्सकों के स्थान पर मात्र 289 चिकित्सक कार्यरत हैं। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को उचित परामर्श एवं इलाज की सुविधा नहीं प्राप्त हो पा रही है।

नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी
स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मिशन के तहत नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मात्र 19.44 फीसदी नर्सिंग स्टॉफ कार्यरत हैं। सूत्रों के अनुसार राज्य में स्टॉफ नर्स के 5236 पर स्वीकृत हैं, जबकि मात्र 421 ही कार्यरत हैं। जबकि मिशन के तहत एएनएम के राज्य में 10 हजार 841 पद स्वीकृत है, जबकि उसकी जगह मात्र 2108 ही कार्यरत हैं।

स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से प्रभावित हो रहे प्रमुख काम

  1. मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) की दर में कमी लाना
  2. जीवित जन्म में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में कमी लाना
  3. कुल प्रजनन दर (टीएफआर) को कम करना
  4. 15 से 49 वर्ष तक की महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम एवं नियंत्रण
  5. संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों से मृत्यु और मृत्यु दर तथा चोट एवं उभरते रोगों की रोकथाम व नियंत्रण।
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