जन संस्कृति मंच ने डॉक्टर महेश्वर के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक जुटान का किया आयोजन, कई वक्ताओं ने लिया हिस्सा

By Aslam Abbas 226 Views
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पटनाः जन संस्कृति मंच की तरफ से राजधानी पटना में बुद्धिजीवी, रंगकर्मी और पत्रकार शामिल हुए। इस मौके पर पटना विश्वविद्यालय के सिनेट सदस्य और फुलवारी शरीफ के विधायक गोपाल रविदास, चौहत्तर आंदोलन और भाकपा-माले के नेता के. डी. यादव, कवि प्रशांत विप्लव, जन संस्कृति मंच पटना के सचिव राजेश कमल, प्रो. शिल्पी रविन्द्र, एडवोकेट अमित कुमार, आशुतोष कुमार, तनिषा कुमारी, पत्रकार प्रीति प्रभा, छात्र नेता सबीर, इंसाफ मंच के सचिव राम लखन चौधरी, संजय यादव, प्रमुख रुप से शामिल हुए।

मुख्य वक्ता इंजीनियरिंग कॉलेज पटना के प्रोफेसर संतोष कुमार ने उनकी यादें साझा करते हुए महेश्वर को एक बहादुर और वैज्ञानिक दृष्टि के व्यक्तित्व के रुप में पेश किया। वहीं पटना विश्वविद्यालय के इतिहास की प्रोफेसर भारती एस कुमार ने अपने वक्तव्य में बताया कि उनके व्यक्तित्व का ऐसा प्रभाव था कि उनके विरोधी विचारधारा के लोगों में भी लोकप्रिय थे, सम्मानित थे. सबके प्रिय थे.वह प्रोत्साहित करने वाले रचनाकार थे. महेश्वर के बारे में आज की युवा पीढ़ी को बताने की जरूरत है।

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लोकयुद्ध पत्रिका के संपादक संतोष सहर ने उनका जीवन परिचय कराया और उनकी विविध रचनाओं के बारे चर्चा की . उन्होंने बताया कि महेश्वर ने समाज के हर वर्ग के लिए लिखा, बच्चों के लिए गोलू चला समूद्र लांघने शीर्षक से श्रृंखला लिखी थी. परचम बनता आंचल , मंगलसूत्र अधूरा है, पूरब की बेटी आदि अनेक लेख , कविताएं , नाटक, बहुतेरे रचनाकार लोकप्रिय रहे हैं. उनका लेखन बहुआयामी है. आदमी को निर्णायक होना चाहिए उनका काव्यसंग्रह है, एक आदमकद राष्ट्र की तलाश चर्चित लेख रहा है. महेश्वर को याद करना नए राष्ट्र की तलाश करना है.

जन संस्कृति मंच, पटना के सचिव राजेश कमल ने उनकी कविताओं का पाठ किया जिनमें सूरज से बतकही, बिल्डिंग मजदूर शामिल रहीं. पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोभन चक्रवर्ती ने कहा कि नई पीढ़ी के शिक्षकों को भी कार्यक्रम करने की जरूरत है. उनकी रचनाओं, लेखों को प्रचारित किया जाना चाहिए. उन्होंने महेश्वर की कविताओं का पाठ उनके काव्यसंग्रह आदमी को निर्णायक होना चाहिए किया।

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जन संस्कृति मंच, पटना के अध्यक्ष ग़ालिब जी ने महेश्वर को अपना प्रेरणास्रोत बताया और उनकी रचनाओं को पढ़ने की अपील की। कार्यक्रम की शुरुआत श्याम बेनेगल और जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि देने से हुई। महेश्वर द्वारा लिखित गीतों की प्रस्तुति जन संस्कृति मंच के प्रमोद यादव, राजन कुमार और पुनीत कुमार ने मिलकर की।

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