महाराष्ट्र के सतारा, सांगली, कोल्हापुर, पुणे, अहिल्यानगर, जलगांव, परभाणी, नांदेड़ आदि जिलों में मजदूर, किसानों व अन्य मेहनतकश तबकों के बीच मज़बूत प्रभाव रखनेवाली की लाल निशान पार्टी का आज भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी- लेनिनवादी) लिबरेशन में विलय की घोषणा की गई. महाराष्ट्र के अहिल्याल्यानगर जिले के श्रीरामपुर स्थित गोविंदराव अतिथि सभागार में आयोजित एकता सम्मेलन के जरिये यह घोषणा पूरी हुई। इस मौके पर दोनों ही पार्टियों के शीर्ष नेताओं के साथ ही भारी तादाद में दोनों ही पार्टियों के स्थानीय नेता-कार्यकर्ता मौजूद रहे।
इस एकता सम्मेलन को भाकपा(माले) लिबरेशन) के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, बिहार के काराकाट से भाकपा (माले) सांसद व चर्चित किसान नेता राजा राम सिंह, लाल निशान पार्टी के महासचिव उदय भट्ट, महाराष्ट्र में भाकपा(माले) के नेता अजित पाटिल और श्याम गोहिल, बिहार विधान परिषद की सदस्य शशि यादव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, महाराष्ट्र की महिला नेत्री मुक्ता मनोहर, माले नेता धीरेन्द्र झा समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।
एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि लाल निशान पार्टी के भाकपा (माले) में विलय से पूरे देश और ख़ासकर महाराष्ट्र में संविधान लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए चल रहे आंदोलन को नई ताकत मिलेगी. हम दलितों, आदिवासियों, मजदूरों, किसानों – सबको एकजुट करेंगे. इस एकता के आधार पर हम देश की सत्ता पर काबिज फांसीवादी ताकतों के साथ जोरदार लड़ाई लड़ेंगे, सभी प्रगतिशील व जनवादी ताकतों को साथ लेकर आगे बढ़ेगे और जीत हासिल करेंगे।
उन्होंने महाराष्ट्र में कम्युनिस्ट आंदोलन, आजादी आंदोलन मजदूर आंदोलन और सामाजिक न्याय के लिए चले आंदोलनों को याद करते हुए कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने न केवल दलितों के आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था दी बल्कि मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी क़ानून बनवाया।
उन्होंने कहा कि पहलगाम की आतंकी घटना और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर और फिर अमरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा युद्ध विराम की घोषणा से मोदी सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा व विदेश नीति की सम्पूर्ण विफलता साबित हुई है. उनपर ढेर सारे सवाल उठ रहे हैँ जिनका जवाब पाने के लिए विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग की तो उन्होंने ठुकरा दिया. अब वे सिंदूर पर राजनीति कर रहे हैँ, हर रोज नए -नए डायलॉग बोल रहे हैँ और अभी से ही बिहार में होनेवाले आगामी चुनाव के प्रचार में उतर गए हैँ. वहीं दूसरी ओर उनके मंत्री, नेता और ट्रोल आर्मी आतंकी हिंसा पीड़ितों, देश के विदेश सचिव और सेना अधिकारी सोफिया कुरैशी के साथ भी शर्मनाक हरकतें कर रहे हैँ।

उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में मोदी जी को बहुत सीटें नहीं मिली लेकिन विधानसभा चुनाव में जनमत का अपहरण कर अपनी सरकार बना ली. अब वे बिहार में अकेले भाजपा की सरकार बनाने का ख्वाब देख रहे हैँ. लेकिन बिहार महाराष्ट्र का नहीं, अपने पड़ोसी झारखण्ड की राह पर चलेगा और भाजपा की इस मंशा को चकनाचूर कर देगा.
उन्होंने मोदी सरकार द्वारा जाति जनगणना की घोषणा को जनता की आँखों में धूल झोंकने की एक नई चाल बताया और समान नागरिक संहिता थोपने की भाजपाई मुहिम को लोगों की ब्यक्तिगत स्वतंत्रता को बंधक बनाने की साजिश बताया.
उन्होंने छत्तीसगढ़ में भाकपा (माओवादी) महासचिव व अन्य 26 लोगों की न्यायेत्तर हत्याओं की निंदा करते हुए इस घटना की उच्च स्तरीय जाँच कराने, ऐसी हत्याओं पर रोक लगाने और माओवादियों के वार्ता प्रस्ताव को स्वीकार करने की मांग करते हुए कहा कि माओवाद तो बहाना है, अडानी-अम्बानी को लाभ पहुंचाना है.
लाल निशान पार्टी के महासचिव उदय भट्ट ने आजादी आंदोलन के दौर से अबतक लाल निशान पार्टी की क्रांतिकारी विरासत की विस्तार से चर्चा की और यह उम्मीद जाहिर की इस एकता सम्मेलन के बाद महाराष्ट्र में भाकपा (माले) एक बड़ी राजनितिक ताकत बनकर उभरेगी।
सांसद राजाराम सिंह ने किसानों, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी ने महिलाओं, शशि यादव ने स्कीम वर्कर्स और आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेहा ने मोदी राज में किसानों, महिलाओं, स्कीम वर्कर्स और छात्र-नौजवानों की दुर्दशा पर रौशनी डालते हुए इन तबकों के आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया।
एकता सम्मेलन के दौरान स्थानीय कलाकारों और महिला कार्यकर्ताओं ने जन गीतों की प्रस्तुति की. नेताओं ने एकता सम्मेलन सर पहले संयुक्त संवाददाता को सम्बोधित किया। एकता सम्मेलन का संचालन लाल निशान पार्टी के नेता शरद संसारी और श्री कृष्णा बराक ने किया. राजेंद्र भाऊके ने सम्मेलन में आये नेताओं और कार्यकर्ताओं का स्वागत किया।
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