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Desk: राज्य के 18 जिला मुख्यालयों समेत 44 शहरों का मास्टरप्लान बनाया जाएगा। इसमें 13 शहरों के मास्टरप्लान का काम सबसे तेजी से चल रहा है। कटिहार के मास्टरप्लान का प्रारूप तैयार हो चुका है। इसे पब्लिक डोमेन में डालकर 22 फरवरी तक आपत्ति व सुझाव भी मांगे गए हैं। वहीं राजगीर, बिहारशरीफ, बेगूसराय और छपरा के प्लानिंग एरिया का सीमांकन कर मास्टरप्लान बनाने का काम जारी है। मार्च-अप्रैल तक कई और शहरों के मास्टरप्लान का प्रारूप जारी किया जा सकता है। पिछले दिनों प्रमंडलवार समीक्षा बैठक में भी उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने भी मास्टरप्लान पर काम तेज करने का निर्देश दिया था।

बोधगया, गया, आरा, मुजफ्फरपुर और सहरसा में मास्टरप्लान बनाने के लिए जरूरी पदों का सृजन कर लिया गया है। इन शहरों में भी सीमांकन के बाद मास्टरप्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वहीं मुंगेर, दरभंगा और पूर्णिया में आर्किटेक्ट का पद सृजित कर आगे की प्रक्रिया शुरू की गई है।

इन शहरों में तय होना है प्लानिंग एरिया

केंद्र सरकार की अमरुत योजना में राज्य के चुने गए 13 शहरों में प्लानिंग एरिया तय करने की प्रक्रिया चल रही है। इसमें बक्सर, जहानाबाद, किशनगंज, भागलपुर, सासाराम, डेहरी, मोतिहारी, औरंगाबाद, बेतिया, सिवान और हाजीपुर शामिल हैं। कटिहार का प्रारूप 27 जनवरी को तैयार कर जारी कर दिया गया है।

जिला मुख्यालयों में लखीसराय व शिवहर आगे

राज्य के 18 जिला मुख्यालयों के सुनियोजित विकास के लिए भी मास्टरप्लान का प्रारूप बनना है। इसमें लखीसराय और शिवहर में डीएम की अध्यक्षता में बैठक हो चुकी है। दोनों ही जगह प्लानिंग एरिया का प्रस्ताव दोबारा भेजा गया है। इसके अलावा जमुई, अररिया, अरवल और मधेपुरा में भी इस दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ा है। खगडिय़ा में अगले सप्ताह बैठक बुलाई गई है। वहीं सोनपुर, नवादा, गोपालगंज, फारबिसगंज, मधुबनी, बांका, समस्तीपुर, सुपौल, सीतामढ़ी, शेखपुरा और भभुआ में अभी प्रक्रिया बातचीत के दौर में है। इन सभी जिला मुख्यालयों में अभी सीमांकन समेत अन्य काम होने हैं।

मास्टरप्लान में शामिल हुए कटिहार के 124 गांव

कटिहार नगर निगम के नए प्रारूप के अनुसार, इसका कुल क्षेत्रफल 417.37 वर्ग किलोमीटर हो गया है। इसमें शहरी क्षेत्रफल 33.46 वर्ग किलोमीटर है, जबकि शेष 383.91 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्रफल है। इसमें कुल 124 राजस्व ग्राम शामिल हैं।

अगले 20 वर्ष पर नजर

अभी तक सिर्फ बिहार में सिर्फ पटना महानगर का ही मास्टरप्लान बना हुआ है। सभी 44 शहरों का मास्टरप्लान अगले 20 वर्षों की जनसंख्या के दबाव और विकास को देखते हुए बनाया जा रहा है। इसमें भविष्य की जरूरत को देखते हुए शहर से सटे आसपास के गांवों को भी शामिल किया जा रहा है।

यह होगा फायदा

मास्टरप्लान बन जाने से इन शहरों का नियोजित विकास हो सकेगा। शहर की जरूरत के हिसाब से नागरिक सुविधाएं मुहैया कराई जा सकेंगी। जमीन का वर्गीकरण भी हो सकेगा। नल-जल से लेकर स्ट्रीट लाइट, पार्क आदि योजनाओं को लागू करने में आसानी होगी।

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