Desk: सरकार ने घर-घर नल का जल पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण योजना लागू की, मगर यह भाई-भतीजावाद की भेंट चढ़ गई। यही नहीं इसकी मॉनीटङ्क्षरग करने वालों ने भी भ्रष्टाचार के मामले को दबाए रखा। मामला मुशहरी की बड़ा जगन्नाथ पंचायत का है। यहां के तीन वार्डों चार, 10 और 12 की नल-जल योजना के लगभग 32 लाख रुपये पंचायत की मुखिया मंजू देवी के पुत्र आदित्य कुमार के खाते में दे दिए गए। जबकि उसकी एजेंसी पंजीकृत नहीं थी।
प्रखंड स्तर तक मामले की शिकायत में बीडीओ को इसमें कुछ भी गड़बड़ी नजर नहीं आई। मगर, अनुमडलीय लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, पूर्वी में मामला आने के बाद मुखिया, पंचायत सचिव, तीनों वार्ड के वार्ड सदस्य एवं वार्ड सचिव को सरकारी राशि के दुरुपयोग करने का दोषी करार दिया गया। साथ ही लोक प्राधिकार को 15 दिनों में कार्रवाई का निर्देश दिया गया। जिला पंचायती राज पदाधिकारी को भी मामले में संज्ञान लेते हुए अपने स्तर से सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है। मगर आदेश के 15 दिन बीत जाने के बाद भी लोक प्राधिकार की ओर से कार्रवाई नहीं की गई।
पहले राशि देने और छह माह बाद वापस लेने को गबन की मंशा माना गया
मीनापुर के अमरेंद्र कुमार ने मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। मामले की रिपोर्ट में कहा गया कि मुखिया द्वारा पुत्र के नाम से चेक काटा गया। मगर ध्यान दिलाए जाने पर तत्काल चेक वापस लेकर एजेंसी को दी गई। मुखिया ने बताया कि भूलवश चेक पुत्र को एजेंसी का लाभ दे दिया। जबकि वह पंजीकृत नहीं था। प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी से परिवाद की जांच कराने में यह बात सामने आई कि योजना में प्राक्कलन के अनुसार वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति को राशि हस्तांतरित करनी है।
मगर नियम का उल्लंघन करते हुए वार्ड सदस्य और वार्ड सचिव ने मुखिया के पुत्र आदित्य कुमार के खाते में बड़ी सरकारी राशि हस्तांतरित कर दी। इसके लिए अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी पूर्वी ने दोनों को दोषी माना। वहीं 15 फरवरी 2019 को राशि भेजने और छह माह बाद दो अगस्त को राशि वापस लेने को गबन की मंशा प्रमाणित की गई। आदेश में कहा गया कि जब मुखिया पुत्र की एजेंसी पंजीकृत नहीं थी तो इतनी बड़ी राशि देने के पीछे गबन की मंशा थी। इसे देखते हुए पंचायत की मुखिया, पंचायत सचिव, मुखिया पुत्र, वार्ड सदस्य एवं वार्ड सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाए। डीडीसी मुजफ्फरपुर डॉ. सुनील कुमार झा ने कहा कि मामला गंभीर है। सरकारी योजना की इतनी बड़ी राशि किसी निजी खाते में नहीं दी जानी चाहिए। इसमें दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। इसके अलावा लापरवाही के दोषियों पर भी कार्रवाई होगी।