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Desk: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट सात निश्चय योजना के तहत कुशल युवा कार्यक्रम में नॉलेज पार्टनर के तहत चुनी गई कंपनी ने बगैर काम के ही पेमेंट ले लिए. महाराष्ट्र की एमकेसीएल कंपनी को कुशल युवा कार्यक्रम के लिए पोर्टल बनाने का काम 2016 में दिया गया था. उसने 2017 से लेकर 2020 तक का पेमेंट बगैर काम के ही ले लिया.

2016 में सरकार और एमकेसीएल के बीच इकरारनामा हुआ था, लेकिन 2020 में पोर्टल बनाने का काम पूरा नहीं किया गया. मजे की बात यह है कि जिस अवधि में पोर्टल काम नहीं कर रहा था. उस अवधि का भी पेमेंट एमकेसीएल कंपनी ने ले लिया. सरकार ने आज बिहार विधानसभा में खुद स्वीकार किया कि बगैर काम किए इस कंपनी को भुगतान मिला है. श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जिवेश मिश्रा ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण पर जवाब देते हुए कहा कि इस कंपनी ने बगैर काम किए ही जो पेमेंट लिया है उसकी वसूली और जांच का फैसला किया गया है.

नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट में आखिर किसकी लापरवाही से बगैर काम किए एमकेसीएल को पेमेंट हो गया. यह सवाल विधानसभा में काफी देर तक चलता रहा. बीजेपी विधायक शैलेंद्र और अरुण शंकर प्रसाद समेत अन्य सदस्यों की तरफ से इस मामले पर ध्यानाकर्षण सूचना लाई गई थी, सरकार की तरफ से मंत्री जिवेश मिश्रा ने बताया कि इस कंपनी को 26 लाख से थोड़ी ज्यादा रकम पेमेंट के तौर पर की गई है लेकिन बीजेपी के विधायक आरोप लगा रहे थे कि इसमें करोड़ों का खेल हुआ है. सदन में इस मामले पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्य भी उठ खड़े हुए. आरजेडी के विधायक अवध बिहारी चौधरी और भाई बिरेंद्र ने विधानसभा की कमेटी से मामले की जांच कराने की मांग रखी. आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में हुए हंगामे को देखते हुए विधानसभा की कमेटी बनाकर इस मामले की जांच कराने की घोषणा कर दी.

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