पटनाः जनसुराज पार्टी के संरक्षक प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। फत्रकारों से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने जातीय गणना, जमीन सर्वे समेत कई मुद्दों को लेकर सवाल उठाया है। प्रशांत किशोर ने कहा कि जिस तरह पीएम नरेद्र मोदी ने 15 लाख खाते में देने की बात कही थी, उसी तरह का जुमला सीएम नीतीश कुमार ने भी दिया है। सीएम ने दो साल पहले गरीब परिवारों को दो लाख रुपये देने की बात कही थी लेकिन अब तक एक भी परिवार को यह राशि नहीं दी गई।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जातीय जनगणना आरक्षण बढ़ाने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने दावा किया कि हमलोगों ने केंद्र सरकार से इसकी मांग की है। आप केंद्र सरकार के सहयोगी दल हैं। इसलिए सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी बताएं कि जातीय जनगणना के आधार पर आरक्षण बढ़ाने की स्थिति क्या है? प्रशांत किशोर ने दूसरे सवाल का जिक्र करते हुए कहा कि कहा कि नीतीश सरकार ने बिहार के 94 लाख गरीब परिवारों को दो-दो लाख रुपये की राशि पांच साल में दी जाएगी। लेकिन, अब तक यह राशि एक भी परिवार को दी जाएगी। मेरा सवाल यह है कि सामाजिक न्याय के पुरोधा सीएम नीतीश कुमार कब तक इन परिवार को दो लाख की मदद देंगे?
प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरा तीसरा सवाल यह है कि नीतीश सरकार ने 39 लाख घर और जमीन विहीन लोगों को एक लाख 20 हजार रुपये जारी करने का फैसला किया था, इसमें अब तक कितने लोगों को राशि दी गई? प्रशांत किशोर ने कहा कि दलित-महादलित के नाम पर बहुत दिन से राजनीति चल रही है। 2006 में सीएम नीतीश कुमार ने वादा था जिस दलित-महादलित परिवार के पास घर नहीं है, उसे घर बनाने के लिए तीन डिसमिल जमीन दी जाएगी। यह वादा महादलित मिशन योजना के तहत की गई थी।
अब तक जो सरकार द्वारा आंकड़े उपलब्ध कराएं गए हैं, उसमें दो लाख 34 हजार परिवारों को आज तक तीन डिसमिल जमीन दी गई है। इसमें आश्चर्य की बात यह है कि एक देशपाल कमेटी की रिपोर्ट आई है। इसमें यह बताया गया है कि दो लाख 34 हजार परिवारों में एक लाख 20 परिवार ऐसे हैं जिन्हें जमीन तो दी गई लेकिन अब तक पोजिशन नहीं दी गई। सरकार से हमारी मांग है कि महादलितों को तीन डिसमिल की बात कही गई थी, वह धरातल पर क्यों नहीं आ पाई।
प्रशांत किशोर ने कहा कि भूमि सर्वे का काम 2013 से शुरू किया गया। अब तक सिर्फ बिहार में उपलब्ध जमीन का 20 प्रतिशत जमीन पर सर्वे ही हो पाया है। देश भर में जो आंकड़ा है कि दो से पांच साल में सरकार भूमि सर्वे का काम पूरा कर देती है। लेकिन, बिहार में भूमि सर्वे के नाम पर लूट मची हुई है। दाखिल खारिज, पेपर बनाने, रसीद कटवाने के नाम पर खूब भ्रष्टचार हो रहा है।
यह पूरा इसलिए नहीं हो पाया कि सरकार ने जमीन सर्व कराने के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं की। न ही तकनीक और संसाधन का इस्तेमाल कर पाई। तेलंगाना में बिहार के बाद जमीन सर्वे का काम शुरू हुआ और पूरा भी हो गया। इतना ही नहीं जमीन सर्वे में भ्रष्टचार भी खूब हो रहा है। सीओ और डीसीएलआर के पोस्टिंग के लिए 25 से 50 लाख रुपये लेकर पोस्टिंग की जा रही है। सर्वे धन उगाही का नया उद्योग है। जमीन विवाद के कारण बिहार में अपराध हो रहे हैं। हत्याएं हो रही हैं। सरकार को इन सब मुद्दों पर जवाब देना चाहिए।
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