Desk: बिहार विधान सभा के बजट सेशन के दौरान नेता जनता के मुद्दों पर बहस के बजाय व्यक्तिगत लांछन लगाने में ज्यादा समय बर्बाद कर रहे हैं। शराब के कारोबार में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय के भाई का हाथ होने के सवाल और तेजस्वी के खानदान का जिक्र आने पर विधानसभा में दोनों के पक्षों के बीच एक बार फिर टकराव की नौबत आई। राजद के कई विधायक सदन के बीच में आ गए । सत्तारूढ़ दल के सदस्य भी कुर्ते की बांह चढ़ाने लगे थे। दोनों तरफ से नारेबाजी का जोर शुरू हो गया । तभी मामले की नजाकत भांपते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन की कार्यवाही रोक दी।
दूसरी पाली में यह हुआ
यह दृश्य दूसरी पाली का है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में मुजफ्फरपुर शराबकांड का जिक्र किया। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन, सत्ता पक्ष से आवाज आने लगी कि मंत्री को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वे उन्हें भी अवसर देंगे। बात खत्म हो गई। सदन की कार्यवाही सामान्य ढंग से चलने लगी। विभिन्न विभागों का बजट पारित करने के बाद अध्यक्ष ने रामसूरत राय को अपना पक्ष रखने के लिए कहा। वे बोलने के लिए उठे। तेजस्वी ने कहा कि पहले वह अपना पक्ष रख लें। अध्यक्ष ने उन्हें यह कहकर रोका आप मंत्री के बारे में बोल चुके हैं।
इस तरह आया खानदान का जिक्र
मंत्री बोलने लगे। खुद को बेकसूर कह रहे थे। बता रहे थे कि मुजफ्फरपुर जिले में उनके परिवार की कितनी इज्जत है। गवाह के तौर पर उन्होंने अपने जिले से जुड़े पक्ष विपक्ष के कई सदस्यों का नाम लिया। वे शराबकांड के बारे में बताने के दौरान बोल गए-मेरे खानदान के बारे में लोग जानते हैं। इनके (विपक्ष के नेता) खानदान के बारे में भी सब लोग जानते हैं। लालू यादव आज जेल में क्यों हैं। मंत्री का इतना कहना था कि राजद के साथ सभी विपक्षी सदस्य तैश में आ गए। वे जोर-जोर से बहस करने लगे। तेज प्रताप यादव ने अपने सदस्यों को सदन के बीच में जाने का इशारा किया। विपक्ष के कई सदस्य सदन के बीच में आ भी गए। प्रतिक्रिया में सत्तापक्ष के सदस्य भी नारेबाजी करते हुए अपनी सीट से निकलने की कोशिश करने लगे। शोर शराबा और दोनों पक्षों के तीखे तेवर को देखते हुए सभाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही बुधवार के लिए स्थगित कर दी।