चुनाव आयोग पर तेजस्वी यादव का बड़ा हमला, वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर लगाया गंभीर आरोप, सबूत भी दिखाया

By Aslam Abbas 299 Views
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बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक हलचल भी काफी तेज हो गई है। इस मुद्दे को लेकर महागठबंधन की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के नेताओं ने चुनाव आयोग के कार्यशैली पर सवाल उठाया। साथ ही आयोग पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि हमलोग एक प्रतिनिधिमंडल के तौर पर चुनाव आयोग से मुलाकात की थी लेकिन हमारे किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। आयोग एक ही दिन में तीन अलग-अलग दिशानिर्देश जारी कर देता है। इससे मतदाता भ्रमित हो रहे हैं।

तेजस्वी यादव ने कहा कि, छह जुलाई को चुनाव आयोग ने इश्तिहार निकाला। उसी दिन तीन अलग-अलग विज्ञापन के माध्यम से अलग-अलग जानकारियाँ दी गईं। एक विज्ञापन में कहा गया कि अगर आपके पास फोटो या पहचान पत्र नहीं है, तब भी गणना प्रपत्र भरकर बीएलओ को जमा कर सकते हैं। लेकिन दूसरे विज्ञापन में कुछ और लिखा है और तीसरे में कुछ और। उन्होंने कहा कि EC अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए भी अलग-अलग जानकारी दे रहा है। इससे मतदाता और लोकतंत्र की पवित्र प्रक्रिया के प्रति गहरा अविश्वास पैदा हो रहा है।

तेजस्वी यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग से आधार कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड को पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और वंचित तबकों के पास अक्सर वही दस्तावेज होते हैं। इसलिए आयोग को चाहिए कि वह इन दस्तावेजों को भी वैध माने। तेजस्वी यादव ने ईसी के पोस्टों को सामने रखकर सवाल खड़ा किया।

तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग की शाख पर सवाल उठ रहा है जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। तेजस्वी ने कहा कि हमारी कुछ मांगें हैं। पहली मांग है कि भारतीय निर्वाचन आयोग तत्काल इस मामले में लिखित और आधिकारिक आदेश जारी करें। दूसरी मांग है कि किसी भी विज्ञापन या फेसबुक पोस्ट की जगह राज्य पत्र अधिसूचना या सार्वजनिक अधिसूचना के द्वारा नीति बताई जाए।

तीसरी मांग बिना दस्तावेज प्राप्त फॉर्म की दुरुप्रयोग की आशंका को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र निगरानी तंत्र बनाया जाए। चौथा मांग मतदाता नामांकन हटाने की प्रक्रिया में पूर्व पारदर्शिता और राजनीति निरपेक्षता सुनिश्चित हो। पांचवा आयोग विपक्ष एवं जनता द्वारा उठाए जा रहे सवाल, शिकायत और गंभीर आरोपों का बिंदुबर जवाब दें। आयोग इसकी निष्पक्ष जांच कराए और किसी भी प्रकार की राजनीतिक मिलीभगत को रोकने के लिए आयोग कठोर कदम उठाए।

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