प्रवीण बागी
(संपादक, लाइव बिहार डिजिटल मीडिया ग्रुप )
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसक घटना ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या, खुलेआम हिंसा और प्रशासन की निष्क्रियता ने राज्य सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व पर कठोर आलोचना को न्योता दिया है।मुर्शिदाबाद में हाल ही में घटित भयावह घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। निर्दोष नागरिकों पर की गई यह बर्बरता न सिर्फ कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि हमारे सामाजिक ताने-बाने की नाजुकता को भी उजागर करती है। यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है, जो समाज को भीतर से तोड़ने का प्रयास करता है।
मुर्शिदाबाद जैसी घटनाएं तब जन्म लेती हैं जब कानून का डर समाप्त हो जाता है और नफरत को बढ़ावा दिया जाता है। ऐसी परिस्थितियों में नफरत फैलाने वाली ताकतें सक्रिय हो जाती हैं और दुर्भाग्यवश आम जनता उनका शिकार बन जाती है। प्रशासन का दायित्व है कि वह त्वरित कार्रवाई कर दोषियों को कठोरतम सजा दिलाए, जिससे समाज में यह संदेश जाए कि अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कोई पहला मौका नहीं है जब पश्चिम बंगाल में हिंसा भड़की हो और सरकार मूकदर्शक बनी रही हो। मुर्शिदाबाद की घटना में जिस प्रकार से अपराधी निडर होकर अपनी करतूतों को अंजाम देते रहे, वह बताता है कि राज्य में कानून का खौफ समाप्त हो चुका है। पुलिस तंत्र और खुफिया एजेंसियों की विफलता ने न सिर्फ जनता का भरोसा तोड़ा है, बल्कि यह भी जाहिर किया है कि राजनीतिक संरक्षण में अपराध किस तरह फल-फूल रहे हैं।
ममता सरकार पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि वह हिंसक घटनाओं को राजनीतिक चश्मे से देखती है। मुर्शिदाबाद की घटना के बाद भी सरकार की प्रतिक्रिया बेहद कमजोर और असंवेदनशील रही। न तो कोई त्वरित और सख्त कार्रवाई हुई, न ही पीड़ित परिवारों के प्रति कोई गंभीरता दिखाई गई।
यह विफलता केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि नैतिक भी है। जब सरकार नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी देने में अक्षम हो जाए, तो उसकी वैधता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है। खुद को सेक्युलरवाद का झंडाबरदार होने का दावा करनेवाली राजनीतिक पार्टियों की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है। उनका दोहरा राजनीतिक चरित्र देश के सामने एक बार फिर उजागर हुआ है।
ममता बनर्जी को यह समझना होगा कि जनादेश केवल चुनाव जीतने का माध्यम नहीं, बल्कि जनता की जान-माल की रक्षा करने की जिम्मेदारी भी होता है। अगर राज्य में कानून का राज बहाल नहीं किया गया और अपराधियों को सख्त सजा नहीं दी गई, तो जनता का आक्रोश सरकार के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है। हम सबको यह समझना होगा कि शांति और एकता ही भारत की असली ताकत हैं। मुर्शिदाबाद की घटना की निंदा करते हुए हमें संकल्प लेना होगा कि हम एकजुट होकर नफरत के खिलाफ खड़े होंगे और एक बेहतर, सुरक्षित भारत का निर्माण करेंगे।
मुर्शिदाबाद की घटना एक चेतावनी है – और अब चुप रहना माफी के योग्य नहीं।
माफ़ी योग्य नहीं है मुर्शिदाबाद की घटना
