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पटनाः बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर यादव अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं और मीडिया की सुर्खिया भी मिलती है। शिक्षा मंत्री छात्रों के हर सरकारी कार्यक्रम में जाति को लेकर विवादास्पद भाषण देने लगते है। लेकिन चंद्रशेखर को आखिरकार राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने आइना दिखाया। पटना में पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर हिन्दू धर्म की संस्कृति को कोस रहे थे. वे छात्रों और शिक्षकों को जाति व्यवस्था की कहानी सुना रहे थे. कार्यक्रम में मौजूद राज्यपाल ने उन्हें नसीहत दी-संस्कृति और विकृति को समझिये. दलित समाज से आने वाले राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि हिन्दू संस्कृति काफी समृद्ध रही है।

बता दें कि पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी का स्थापना दिवस समारोह मनाया गया. जिसके मुख्य अतिथि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर थे. वहीं, कार्यक्रम में सूबे के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी मौजूद थे. राज्यपाल की मौजूदगी में ही शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर शिक्षा की बात छोड़ हिन्दू धर्म पर बोलने लगे. शिक्षा मंत्री ने हिन्दू धर्म को जी भर कोसा. बाद में राज्यपाल बोलने के लिए उठे तो शिक्षा मंत्री को आइना दिखाया. उन्होंने कहा- हिंदू संस्कृति समृद्ध संस्कृति रही है,समय बीतने के साथ इसमें कुछ विकृति आ गयी. जैसे जातीय व्यवस्था. लेकिन इसे समझना होगा कि हमारी संस्कृति क्या है और उसमें क्या विकृति आयी. 

दरअसल यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि हिन्दू धर्म और भारत को छोड़ कर कहीं भी जाति-पाति नहीं है. जो देश भारत से टूटकर अलग हुए हैं, जैसे फिजी और मॉरीशस, वहां हमारे देश के ही हिंदू लोग गए हैं. वहीं पर जाति की संस्कृति देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि मैंने सचिवालय में जाति के कारण संचिकाओं को रुकते हुए देखा है. शिक्षा मंत्री का दावा था कि आज भी जाति व्यवस्था से काफी लोग पीड़ित हैं. मंत्री का कहना था कि जाति ही हिन्दू धर्म की संस्कृति है. 

शिक्षा मंत्री के भाषण के बाद मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर के बोलने की बारी आयी. राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने जाति की संस्कृति की बात कही है. ये कार्यक्रम शिक्षा के विषय पर है, इसलिए इसमें जाति की बात वह नहीं करना चाहते. इस पर ज्यादा नहीं बोलेंगे. लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि हिन्दू धर्म की संस्कृति काफी समृद्ध संस्कृति रही है. समय के साथ साथ हमारी संस्कृति में कुछ विकृति आ गयी. इसमें एक जाति व्यवस्था भी है. इसलिए हमें ये समझना होगा कि संस्कृति और विकृति में क्या अंतर है. इन विकृतियों को दूर करने के लिए पहल करनी होगी.

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