Desk: देश की जानी-मानी हिंदी साहित्यकार व बिहार की बेटी अनामिका को उनकी हिंदी कविता संग्रह ‘टोकरी में दिगन्त : थेरीगाथा’ के लिए साल 2020 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। इसके साथ हिंदी कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली वे देश की पहली महिला साहित्यकार बन गईं हैं।
अनामिका हिंदी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली बिहार में तीसरी बिहारी साहित्यकार भी हैं। इसके पहले यह पुरस्कार रामधारी सिंह दिनकर और अरुण कमल को मिला है। बिहार के ही सहित्यकार कमलकांत झा को उनकी रचना ‘गाछ रूसल अछि’ के लिए मैथिली का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। यह सम्मान मिला है। उर्दू का अकादमी पुरस्कार भी बिहार के प्रो. हुसैन उल हक़ को उनके उपन्यास ‘अमावस का ख़्वाब’ के लिए दिया गया है।
पहले मिल चुके कई परस्कार व सम्मान
बिहार के मुजफ्फरपुर की मूल निवासी अनामिका दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए हैं। उन्होंने वहीं से डॉक्टरेट भी की है। अंग्रेजी की उच्च शिक्षा के बावजूद उनका हिंदी प्रेम उन्हें इसके पहले राजभाषा परिषद पुरस्कार, साहित्य सम्मान, भारत भूषण अग्रवाल तथा केदार सम्मान आदि दिला चुका है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में बीता बचपन
अनामिका वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के सरस्वती कॉलेज में अध्यापन करतीं हैं। उनका बचपन मुजफ्फरपुर में बीता। पिता पद्मश्री डॉ. श्यामनंदन किशोर मुजफ्फपुर स्थित बीआरए बिहार विश्वविद्याल के कुलपति रहे हैं। मां आशा किशोर हिंदी की प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष रहीं। भाई महाराष्ट्र कैडर में आइएएस अधिकारी हैं। अनामिका ने हिंदी कविता के अलावा उपन्यास व कहानियां भी लिखीं हैं। उन्होंने कई अनुवाद भी किए हैं।
बिहार से जुड़े साहित्यकारों ने जताई खुशी
वरिष्ठ लेखिका उषा किरण खां ने अनामिका कीइस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में नारी अस्मिता व स्त्रियों के सुख-दुख को पूरी संवेदना के साथ रखा गया है। उनकी कविताओं में अपने गांव, घर, भाषा व भाव-भूमि महत्वपूर्ण हैं। वरिष्ठ कवि अरुण कमल के अनुसार स्त्री लेखन में अनामिका ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनकी कविताओं में घर-परिवार और आसपास का जीवन है। वरिष्ठ कवि आलोक धन्वा बताते हैं कि अनामिका की काव्य के साथ गद्य पर भी बराबर की पकड़ है।
कमलकांत की पुस्तक में पर्यावरण संरक्षण पर बल
मैथिली साहित्यकार डॉ. कमलकांत झा को उनकी लघु कथा ‘गाछ रुसल अछि’ के लिए मैथिली का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। इस रचना में उन्होंने पर्यावरण व पेड़-पौधों के महत्व को बताया है। बिहार के मधुबनी में जन्में व पले-बढ़े कमलकांत झा ने मैथिली के साथ हिंदी में भी लेखन किया है। उन्होंने अभी तक मैथिली में 25 पुस्तकें लिखीं हैं। वे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में मैथिली के प्रोफेसर भी रहे हैं। वे अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (भारत-नेपाल) के अध्यक्ष हैं तथा मधुबनी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघ चालक हैं।
प्रो. हुसैन उल हक़ को उर्दू का अकादमी पुरस्कार
प्रो. हुसैन उल हक़ को उनके उपन्यास ‘अमावस का ख़्वाब’ के लिए उर्दू के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया है। वे भी बिहार के गया शहर स्थित न्यू करीमगंज मोहल्ला के निवासी हैं। वे मगध विश्वविद्यालय में उर्दू विभागाध्यक्ष और प्रॉक्टर के पद पर रहे हैं। उर्दू में साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले हुसैन उल हक़ बिहार के पांचवे और गया के पहले साहित्यकार हैं। उनके तीन उपन्यास के साथ सात कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं।
पुरस्कार पाने वालों में मोइली भी शामिल
पुरस्कार पाने वाले चर्चित नामों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली भी शामिल हैं। वे राजनीतिज्ञ से साथ साहित्यकार भी हैं तथा कन्नड़ भाषा में कई उपन्यास लिख चुके हैं। इसके पहले उन्हें मूर्तिदेवी और सरस्वती सम्मान मिल चुके हैं।
20 भाषाओं के लिए घोषित किए पुरस्कार
विदित हो कि साहित्य अकादमी ने 20 भाषाओं के लिए अपने सालाना साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की है। उसने सात कविता-संग्रह, चार उपन्यास, पांच कहानी-संग्रह, दो नाटक, एक संस्मरण और एक महाकाव्य काे पुरस्कार के लिए चुना है। ये पुस्तकें एक जनवरी 2014 से 31 दिसम्बर 2018 के बीच प्रकाशित हैं। अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने बताया कि इन पुरस्कारों की अनुशंसा 20 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों ने की। शुक्रवार को अकादमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में हुई अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में इसका अनुमोदन कर दिया गया। पुरस्कार के विजेताओं को एक उत्कीर्ण ताम्रफलक व शॉल के साथ एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
साहित्य अकादमी पुरस्कार, एक नजर
हिंदी: अनामिका (कवता संग्रह- टोकरी में दिगन्त: थेरीगाथा)
उर्दू: प्रो. हुसैन उल हक़ (अमावस का ख़्वाब)
मैथिली: कमलकान्त झा (गाछ रूसल अछि)
कन्नड़: वीरप्पा मोइली (महाकाव्य- श्री बाहुबली अहिमसादिग्विजयम)
अंग्रेजी: अरुंधति सुब्रह्मण्यम (कविता संग्रह- ‘व्हेन गॉड इज़ ए ट्रैवलर)
गुजराती: हरीश मीनाश्रु
कोंकणी: आरएस भास्कर
मणिपुरी: ईरुंगबम देवेन
संथाली: रूपचंद हांसदा
तेलुगु: निखिलेश्वर
मराठी: नंदा खरे
संस्कृत डॉ. महेशचन्द्र शर्मा गौतम
तमिल: इमाइयम
असमिया: अपूर्व कुमार सैकिया
बोडो: धरणीधर औवारी
कश्मीरी: हृदय कौल भारती
पंजाबी: गुरदेव सिंह रूपाणा
डोगरी: ज्ञान सिंह
सिंधी: जेठो लालवानी
बांग्ला: मणिशंकर मुखोपाध्याय
(नोट: मलयालम, नेपाली, ओड़िया और राजस्थानी भाषाओं में पुरस्कार अभी घोषित नहीं किए गए हैं। ये बाद में घोषित किए जाएंगे।)