Desk: बिहार पंचायत चुनाव को लेकर फैली अफवाहों के बीच हम आपको इससे जुड़ी सबसे पुख्ता जानकारी देने जा रहा है। पंचायती राज विभाग से निकाली गई खास जानकारी के मुताबिक बिहार की 8387 पंचायतों में से केवल एक, राजगीर के गोरौर पंचायत के मुखिया को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया गया है ।
कुल 24 मुखिया को हटाया गया है पद से, 1 अयोग्य
विभाग की तरफ से राज्य निर्वाचन आयोग को भेजी गई लिस्ट के मुताबिक पंचायती राज अधिनियम 2006 की धारा 18(5) के तहत 2016-2021 कार्यकाल के 24 मुखिया को पद से हटाया गया है। इनमें: रोहतास के सदोखर, केनार कला, खुमाबा, चेनारी, डेवडीही और पेवन्दी; नवादा के माखर, ओडो, नरहट, हड़िया, कछुआरा; बांका के चुटिया बेलारी और परमानंदपुर पंचायतों के मुखिया को हटाया गया। इनके अलावा शेखपुरा के एकरामा, कैमूर के लोहदन, औरंगाबाद के एरौरा और अमारी, बक्सर के काजीपुर, बेगूसराय के मटिहानी, सीतामढ़ी के विशुनपुर, नालंदा के पठरौरा, जहानाबाद के पूर्वी सरेन और दरभंगा के रमौली पंचायतों के मुखिया को हटाया गया है। हालांकि इन सभी को अगले पांच साल तक चुनाव लड़ने से नहीं रोका गया है। वहीं गंभीर आरोप साबित होने के बाद राजगीर की गोरौर पंचायत के मुखिया संतोष कुमार दिवाकर को चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया गया है।
सारी कवायद 2021 का चुनाव लड़ने से रोकने में बेअसर
पंचायती राज विभाग अपने पत्रों में भले ही काम में कोताही करनेवाले मुखिया पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहा हो, लेकिन सच यह है कि इस मामले में काफी देर हो चुकी है। राज्य निर्वाचन आयोग से मिल रही खबरों के मुताबिक मार्च के अंतिम सप्ताह तक चुनावी तारीखों का ऐलान होगा और अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में विभाग के पास मुखिया को पद से हटाने या उन्हें अगले चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने के लिए 3 सप्ताह से भी कम का वक्त बचा है।
इन मामलों से जुड़े जानकार बताते हैं कि इतने कम दिनों में जिलाधिकारी की अनुशंसा विभाग में भेज पाना और फिर उस पर पूरी प्रक्रिया के तहत सुनवाई कर मुखिया पर कार्रवाई कर पाना संभव नहीं है। जाहिर है, ऐसे में विभाग की तरफ से मुखिया को दिया जा रहा अल्टीमेटम मुखिया जी को डरा तो सकता है, उन पर FIR करा सकता है, लेकिन उनके चुनाव लड़ने पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता।
2016-2021 के केवल 3 मुखिया के चुनाव लड़ने पर लगी रोक
पंचायती राज विभाग से मिले दस्तावेजों के मुताबिक 2016-2021 कार्यकाल के केवल 3 मुखिया को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया था। इनके नाम हैं – नालंदा की गोरौर पंचायत के मुखिया संतोष कुमार दिवाकर, मधुबनी की बेनीपट्टी पंचायत की मुखिया विमला देवी और औरंगाबाद की पवई पंचायत के मुखिया विजय कुमार दास। विभाग की सुनवाई में चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिये जाने के बाद इनमें से विमला देवी और विजय कुमार दास ने हाईकोर्ट में अपील की, जिसमें उन्हें स्टे मिल गया। इस वजह से विभाग का फैसला इनपर फिलहाल बेअसर हो गया है ।
मुखिया पर पंचायती राज अधिनियम 2006 की धारा 18(5) के तहत हो सकती है कार्रवाई
त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल पूरा होने और आनेवाले चुनाव को देखते हुए पंचायती राज विभाग लगातार पत्रों के जरिए पंचायतों में लंबित विकास कार्यों को पूरा करवाने को लेकर युद्धस्तर पर काम कर रहा है। इसी सिलसिले में विभाग की तरफ से बीते 15 दिनों में जिलाधिकारियों को कई पत्र लिखे गए हैं। इन पत्रों में जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिलों की पंचायतों में ग्राम पंचायतों के जिम्मे दिये गए विकास कार्यों की समीक्षा करने और काम पूरा नहीं करनेवाले पंचायतों के जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिये गए हैं। विभाग ने इसे लेकर मुखिया और उपमुखिया पर FIR तक करने का निर्देश दिया है। इसके साथ अपने ही पत्र में विभाग ने ऐसे पंचायत जनप्रतिनिधियों पर जिन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया है, उनपर जिलाधिकारी की अनुशंसा के आधार पर पंचायती राज अधिनियम 2006 की धारा 18(5) के तहत कार्रवाई करने की बात कही है। इस धारा के तहत आरोपी मुखिया के खिलाफ पंचायती राज विभाग में मामले की सुनवाई कर उन्हें पद से हटाने और उन्हें अगले चुनाव से वंचित किये जाने का प्रावधान है।